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________________ श्रीअमम जिन चरित्रम् अजशब्दार्थे नारदपर्वतयोर्वादः स्वस्य मुग्धताम् // 76 // निघंटुषु त्वजा मेषा वृत्त्या प्रोच्यन्त मुख्यया / सतामत्रानभिमतां मा तामधिकृथा वृथा // 77 // गुरुं धर्मों | पदेष्टारं श्रुतिं धर्ममयीमपि / सखे ! त्वमन्यथा कृखा गत्वाऽलं नरकोदरे // 78 // उपशिष्यं कृतम्लानिलक्ष्यादेवमभ्यधात् / पर्वतो // 136 / / नारदमजान् / मेपानेव गुरुर्जगौ // 79 // युक्तीरभिनिविष्टस्त्वं खेटयन् स्वमतं प्रति / गुरोगिरस्तिरस्कृत्य दुःकृत्याब्धौ निमञ्जसि // 8 // तवाऽथवाऽलीकगीरः शासितास्ति बसुनृपः / पापं राजभयादेव नाचरत्यधमो जनः // 81 / / एहि राजकुले यावो विवादोत्र मुधैव | नौ / द्वयोरेकतरस्यागस्यऽस्तु जिह्वाच्छिदापणः // 82 // प्रमाणं नौ सहाध्यायी वसुर्विवदमानयोः। सत्यावष्टम्भसंरम्भादोमित्यूचेPथ नारदः // 83 // वेदार्थविदुषी पुत्रप्रतिज्ञातो विपेदुषी / स्थित्वा रहस्युपाध्यायी पर्वतं प्रत्यवोचत / / 84|| हाधिक किमेतदाचारि | वत्सातिरभसा त्वया / यतः कार्येष्वऽमीमांसा महापत्प्रतिभूरसौ // 85 / / अजानजायमानान्नरोहिणस्वद्गुरुगृणन् / व्यग्रया म्वगृहारम्भे bol मयापि बहुधा श्रुतः // 86 // त्वत्तातो यानि यष्टुं प्राक् जरद्धान्यान्यऽमीलयत् / अन्तगृहमिहाद्यापि तानि पश्य किया // // | नारदः सत्यपक्षस्थः सत्यव्रतवसुर्वसुः / भवानऽसदुपन्यस्यन् कथं सत्याश्रवो वद // 88 / / मिथ्या प्ररूपयन कुर्वन जिया |च धिक् / प्राणेभ्यः स्वगतेश्च खं नूनं भ्रंशमवाप्स्यसि // 89 // अतीतकृत्योपालम्भ वैतण्डिकतया कृतम् / मातर्माऽतः प्रलापीस्वं कृतं भवति नाकृतम् // 90 // अधिचित्तं सुतोपायमुपाध्यायान्यऽरुन्तुदम् / बिभ्रती वसुमभ्यागात् पुत्रस्नेहो हि मोहकत // 9 // | अभ्युत्थितः कृतनतिर्विहिताञ्जलिरधभृत् / उक्त्वाशिष वसुदत्तविष्टरां तामदोऽवदत् // 92 / / कैरद्य सुकृतैरम्ब ! जातं मे परिपवित्रमः। यस्त्वं गृहानुपागत्य स्वाशिषा मामऽपावयः // 93 // गुरुपादानिव चिराद् दृष्ट्वा च त्वाममोदिपि / आज्ञापय प्रयच्छामि किं ते ? किं करवाणि च // 94|| वसुवागमृतेनाऽथ प्रशान्तदवथुहृदि / मनागुच्छ्वसितेवासावानन्दथुमशिश्रियत // 95 // भिक्षां पुत्रमयीं सर्ग-४ // 136 //
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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