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________________ // 11 // घने वृतौ | इति निर्वाह्य नासिक्ये कथामेनां स्थिते वधूः / पुनरत्रोटयत् पिच्छे क्षारं चालगयत्पुनः // 86 // पिच्छपञ्चशती रत्नवत्येत्थमुदमू ल्यत / कथापश्चशती चैवं नासिक्येनाप्यकथ्यत // 87 // इतश्च तादृग् नासिक्यव्यसनादिव दुःखिता। मुमोचाश्रुकणप्रख्यान् द्यौर- आयाते * वश्यायविनुषः // 88 // पश्चिमाऽब्धौ शुकाऽऽबाधाद् दुःखीव न्यपतत् शशी / तस्थौ बवा कीरवेलावित्तेवास्यं कुमुद्वती।।८९|| द्रष्टुं* कीरात्र्तिमिव वाशक्तास्तारास्तिरोदधुः / दीपाः शुकविपत्त्येव ययुर्ध्यामलतां पराम् // 90 // तूर्यस्खनैः सुरोकांसि शुकशोकादिवा:-* मृतपाय: रटन् / पृच्चक्रुः पक्षिणो जातिपक्षपातादिवाधिकम् // 11 // कीरस्य विपदेव श्रागूर्ध्वस्फोटमगानिशा / विरक्तमिव कीराा वन-10 शुकस्य वासं व्यधात्तमः॥९२॥ उदियाय शुकक्लेशरूपेव सविताऽरुणः। श्रेष्ठिनं भुंगतुमुलैराजुहावेव पद्मिनी // 93 // अथ चैतन्यशेष तं | क्षेपणम् | मांसपिंडमयं शुकम् / अग्निपाकाय पापा सा निन्ये यावन्महानसम् // 94 // तावनिदध्यौ विध्यातमग्निं तत्सुकृतादिवः। इतश्च लक्ष्मी| सदनाद् धनो द्वारमुपाययौ // 95 / / कपाटोद्घाटनार्थ च तामाह्वास्त परिच्छदः। तच्छब्दं सहसा श्रुत्वा चकिता रत्नवत्यपि // 16 // किंकृत्यमूढा नीखा च गृहपश्चाद्वृतौ शुकम् / क्षिप्त्वा तथा क्षारघटं पिच्छौघं चापसार्य तम् / / 97 / / आत्मनोऽभिनयन्त्युच्चैः पापा वपुरपाटवम् / निःश्वासान्मुञ्चती दीर्घान् द्वारं गखोदघाटयत् / / 98 // अत्रान्तरे भ्रमन् श्येनो दृष्ट्वा दैवाद् वृतिस्थितम् / मांसपिंडभ्र मात्कीरमादायोत्पत्य चाऽगमत् // 99 // प्रविवेश गृहस्यान्तः श्रेष्ठी परिकरान्वितः। एकाहव्यवधानेऽपि बाढमुत्कण्ठितः शुके // 800 // || अपश्यन् पञ्जरे कीरं विषण्णो व्याहरद् वधूम् / हा पुत्रि ! कुत्र नाशिक्यो गतः प्राणप्रियो मम ॥१साऽपि पृष्टाध्वदत्तात ! नाहं जानामि किंचन / शिरोा यन्मृतावस्थेवाऽतिष्टं ह्यस्तने दिने // 2 // नष्टे शुके स्नुषे ! शेष किं गृहे रक्षितं त्वया / इत्युक्त्वा सकुटु- // 1.1 // म्बोऽपि तमन्वेष्यद् धनोभितः॥३॥ क्वचित्पिच्छानि दृष्ट्वाऽथ बिडालीकवलीकृतम् / निश्चित्य शुकमत्यन्तविव्हलो विललाप सः
SR No.600399
Book TitleBhavi Jineshwar Amamswami Charitra Mahakavya Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMuniratnasuri, Vijaykumudsuri
PublisherManivijay Ganivar Granthmala
Publication Year1942
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size28 MB
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