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________________ मन नीचे मुज - 'अस्य श्रीमन्महावीरवईमानस्वामिसम्बन्धी पञ्चमगणनायकः श्रीसुधर्मस्वामी स्त्रतो जम्बूस्वामिनं प्रणयनं चिकीर्षुः म्याक. संबन्धाभिधेयप्रयोजनप्रतिपादनपरी जम्बू...इत्यादि गायां. मा सुधास्वामि गणधर भगवंत परमात्मा महावीर प्रभुना 'माच पहपर तेमनुं जन्मस्थळ विगेरेतुं स्वरूप कोल्लाग नामना गाममा धमिल पिता महिला माताना पुत्र, चोदे विद्याना पारगामी प्रभु महावीरना दर्शन अने उपदेशथी प्रतिबोध पामी ५० वर्षनी उम्मरे मगवान महावीरने पोताना परमतारक स्वीकारी ३० वर्ष महावीर परमात्मानी सेवा का बाद महावीर प्रभना निर्वाण पछी बार वर्षे केवल्यज्ञानने प्राप्त करी८ वर्ष सुधी केवलज्ञाननी परिपालमा करी १०० सो वर्ष पूर्ण आयुष्य पारी निर्वाण पाम्या. काळक्रमे आ पूर्वमहर्षिना रखेला महाकिमती रत्नसमान आगमोना गूढ अर्थो अने आमन्याओ काळना प्रभावने ला ओछी थती बुद्धि अने धीरजने लाने विस्मरण था मज दुष्काळ विगेरेना उपद्रवोने ला नष्ट थतां देखी शहयातमा 'स्कंदिलाचार्य मधुरामा अने नागार्जुनरिए वळामां-वल्लभीम श्रमसंमेलनद्वारा जे जे अवस्थामा जे महर्षियोने कंठे जेटला जेटला प्रमाणमां ग्रंथो उपलब्ध थया तेनो संग्रह कों. ने त्यारवाद बोदाज बखतम पू. देवर्षिगणि समाश्रमणभगवते मागम तथा अन्य अन्य पूर्वपुरुषोना ग्रंथोने साधुसंमेलनद्वारा एकत्र करी पुस्तकारुड का. . १. श्रीमद्वीरजिनेन्द्रस्य विनेयो विश्ववल्लभः येनाऽधीतानि पूर्वाणि सुधर्मास्वामिनाऽद्भूतम् [विबुधधिमलकृतपट्टावल्यां] २. कल्पसूत्र पृ. १८६ तमे कोल्लागसन्निवेशे धम्मिलविप्रस्थ..................इत्यादि वर्णन शेय १. जिनवचनं च दुष्षमकालवशादुच्छिमाप्रायमिति मत्वा भगवभिनागार्जुन-स्कंदिलाचार्यप्रभृतिभिः पुस्तेकेषु न्यस्तम् [कलिक सर्वश० हेमचन्द्ररिकृत योगशासप्रकाश ३ श्लोक १२०] ....... २. बल्लहिपुरंमि नयरे देवढिपमुह सयलसंधेहि, पुत्ये भागमलिहिया नवसयअसीमाओ वीरामो. [कल्पसूत्र पृ. १४४]
SR No.600391
Book TitlePrashna Vyakaran Sutram Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGyanvimalsuri, Mafatlal Zaverchand Pt
PublisherMuktivimal Jain Granthmala
Publication Year1939
Total Pages252
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_prashnavyakaran
File Size24 MB
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