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श्रावक प्रतिमाः
श्रीविशांत-ठाय ॥१॥ एया खलु इकारस गुणठाणगभेयओ मुणेयव्या । समणोवासगपडिमा बज्झाणुट्ठाणलिंगेहिं ॥२॥ सुस्साई जम्हा काप्रकरणे | दंसणपमुहाण कज्जसूयत्ति । कायकिरियाइ सम्म लक्खिज्जइ ओहओ पडिमा ॥३॥ सुस्सूस धम्मराओ गुरुदेवाणं जहासमाहीए। ॥१२॥
वेयावच्चे नियमो दंसणपडिमा भवे एसा ॥४॥ पंचाणुव्वयधारितमणइयारं वएसु पडिबंधो। वयणा तदणइयारा वयपडिमा
सुप्पसिद्धत्ति ॥ ५॥ तह अत्तवीरिउल्लासजोगओ रयतसुद्धिदित्तिसमं । सामइयकरणमसई सम्मं सामाइयप्पडिमा ॥११॥ पोसहहै| किरियाकरणं पंचसु पव्वेसु तहा सुपरिसुद्धं । जइभावभावसाहगमणघं तह पोसहप्पडिमा ॥६॥ पव्वेसु चेव राई असिणाणाइ-13
| किरियासमाजुत्तो । मासपणगावहि तहा पडिमाकरणं तु तप्पडिमा ॥ १२ ॥ असिणाण वियडभोई मउलियडो रत्तिभमाणेण । |पडिवक्खमंतजावाइसंगओ चेव सा किरिया ॥७॥ एवं किरियाजुत्तोऽबंभ वज्जेइ नवर राइपि । छम्मासावहि नियमा एसा उ
अबभपीडमत्ति ॥ ८॥ जावज्जीवाएऽवि हु एसाऽबंभस्स वज्जणा होइ । एवंचिय जं चित्तो सावगधम्मो बहुपगारो ॥९॥ एवं| विहो उ नवरं सच्चिपि परिवज्जए सव्वं । सत्त य मासे नियमा फासुयभोगेण तप्पडिमा ॥१०॥ जावज्जावाएवि हु एसा | सच्चित्तवज्जणा होइ । एवं चिय जं चित्तो सावगधम्मो बहुपगारो ॥१३॥ एवं चिय आरम्भं वज्जइ सावज्जमट्ठमासं जा । | तप्पडिमा पेसेहिवि अप्प कारेइ उवउत्तो ॥ १४ ॥ तेहिंपि न कारेई नवमासे जाव पेसपडिमत्ति । पुब्बोइया उ किरिया सव्वा
एयस्स सविसेसा ॥ १५॥ उद्दिवाहाराईण वज्जणं इत्थ होइ तप्पडिमा । दसमासावहि सज्झायझाणजोगप्पहाणस्स ॥१६॥ | इक्कारस मासे जाव समणभूयपडिमा उ चरिमत्ति । अणुचरइ साहुकिरियं इत्थ इमो अविगलं पायं ॥ १७॥ आसेविऊण एवं कोई पव्ययइ तह गिही होइ । तम्भावभेयओ च्चिय विसुद्धिसंकेसभेएणं ॥१८॥ एयाउ जहुत्तरमो असंखकम्मक्खओवसमभावा । हुंति
॥१२॥