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________________ C . ॥ १९| | पयोग श्रीविशेषण छउमत्थो मोत्तु ओहिसंपुण्णं । तत्थवि जो परमावहिणाणी तत्तोऽवि किं नूणो ?॥२२३॥ ते दोऽवि विससेउ अण्णो छउमत्थकेवली ११.४५ वत्यां को सो । जो पासइ परमाणु गहणमिहं जस्स होज्जाहि ॥ २२४ ॥ तेसि चिय छउमत्थाइयाण मग्गिज्जए जहिं सुत्ते । केवल विशेषा। तू संजमसंवरवंभाईएहि निव्वाणं ॥ २२५ ॥ तिण्णिवि पडिसेहेउं तीसुवि कालेसु केवली तत्थ । सिझिंसु सिज्झई या सिज्झिस्सइ यावि केवल ज्ञान दर्शन तदुणिहिट्ठा ।। २२६ ॥ एवं विसेसियम्मिवि परमयमेगन्तरोवओगोत्ति । ण पुण जुगबोवओगे परवत्तव्वात्ति का बुद्धी ? ॥२२७ ॥ अण्णं च इमा गाहा समए सिद्धाहिगारपरिपढिया । फुडविअडत्थं साहइ जिणस्स एगतरुवओगं ।।२२८॥ णाणम्मि दंसथमि य एत्तो विशेषः एगतरयम्मि उवउत्ता । सव्वस्स केवलिस्सा जुगवं दो नत्थि उवओगा ॥ २२९ ॥ सिद्धाणवि एगयरोवओगवत्तित्तणंति तईए से । 81 पुव्वद्धेणं सिद्धं अत्थउ पच्छद्धमिह ताव ॥ २३० ॥ परवत्तव्वमिणति य भणिज्ज एवंपि कोइ तंण भवे । पण्णत्तीऍ विसेसियबामेय जम्हा णियंठेसु ।। २३१ ।। उवओगो एगयरो पणुवीसइमे सए सिणायस्स । भणिो विअडत्थोऽवि य छठु से विसेसेउं ॥ २३२ ॥ पण्णवणाचरिमपए भणिओ सिद्धोवि सुद्धनाणीहिं । सागारे उवउत्तो सिज्झइ जह तत्थ गंतूणं ॥२३३॥ अह भणसी a सव्वं चिय सागारं से अओ अदोसोत्ति । तो सिद्धलक्खणं कह भणियं सागारणागारं ॥ २३४ ॥ एवं फुडविअडम्मिवि सुत्ते सवण्णुभासिए सिद्धे । कह तीरइ परतित्थियवत्तव्यमिणति वोत्तुं जे? ॥२३५। सव्वत्थ मुत्तमत्थि य फुडमेगयरोवउत्तसत्ताणं । उभओवउत्तसत्ता सुत्ते वुत्ता ण कत्थईवि ॥ २३६ ॥ कस्सइवि णाम कत्थइ कालं जइ होज्ज दोवि उवओगा । उभओवउत्तसुत्ताण ४ ॥१९॥ १ वरमय.२ एई.३०मेवं.४ समए, MORROCAR AMT. COCOLA5 %
SR No.600390
Book TitlePratya Saraswat Vibhram Dan Shatrinshika Visheshanvati Vinshatika Cha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRushabhdev Kesarimal Samstha
PublisherRushabhdev Kesarimal Samstha
Publication Year1927
Total Pages210
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size17 MB
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