SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 616
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनगार चश्चम्यन्त इमं न मामिति तदाबाधे त्रिगुप्तः परा, क्लिष्टयोत्सृष्टवपुर्बुधः समतया तिष्ठत्युपेक्षायमी ॥५॥ देश कालके विधानको जाननेवाला और 'आत्मा तथा शरीरके मेदज्ञानसे युक्त उपेक्षासंयमका धारक यति मानसिक वाचिक और कायिक तीनों ही प्रकारके व्यापारोंका अच्छी तरह विरोध करके तथा शरीरमें सर्वथा ममत्व का परित्याग करके उपद्रव करनेवाले अथवा हिंसादिक जीवजंतुओं के द्वारा अनेक प्रकारका दुःख दिया जानेपर भी उनको किसी भी.ताहका क्लेश नहीं देता किंतु सदा समता परिणामोको ही धारण किया करता है । किसी भी पदार्थको वह इष्ट या अनिष्ट समझकर उसमें राग या द्वेष नहीं करता । क्योंकि वह सोचता है कि ये व्याघ्रदिक जो मेरे इस शरीरका उग्रताके साय और बारबार मक्षा करते हैं पो विचारे समझते हैं कि यह शरीर ही मैं हूं। किंतु ऐसा नहीं है, में इस शरीरका केवल प्रयोक्ता हूं। जिस प्रकार कहार यदि बेंगीको ढोता है, तो उसको उसका प्रयोक्ता कहा जा सकता है। पर बेंगीको ही कहार नहीं कहा जा सकता । इसी प्रकार मैं भी इस शरीरका वाहक मात्र हूं। शरीर ही मैं नहीं कहा जा सकता । किंतु ये विचारे मेरे शरीरको ही मुझे समझकर भक्षण कर रहे हैं। सो इनको यह अज्ञान है । तथा इसमें इनका कोई अपराध भी नहीं है । क्योंकि मेरे ही पूर्वसंचित उप. घातादि कर्मके उदयका साहाय्य पाकर फर दे सकनेवाले अपने पूर्वार्जित परवातादि कौके उदयसे प्रेरित होकर ये ऐसा कर रहे हैं। किंतु शुद्धद्रव्यदृष्टि से यदि देखा जाय तो इनमें और मुझमें कई अन्ता नहीं है। ये मेरे ही समान हैं। क्योंकि "सब्वे सुद्धा हु सुद्धणया" शुद्ध स्वरूपकी अपेक्षासे सभी जीव शुद्ध हैं। अथवा ये मेरे उपकारी मित्र ही हैं। क्योंकि पिता आदि पर्यायोंको धारण कर इस अनादि संसारके भीतर कमी न कभी इन्होंने मेरा उपकार ही किया होगा । जैसा कि कहा भी है किः १-उपवात और परघात दोनों कर्म साथ ही उदयमें आकर फल दे सकते हैं । जो घात करनेवाला है उसके परघात प्रकृतिका और जिसमा घात हो उसके उपवात प्रकृतिका उदय होता है ।
SR No.600388
Book TitleAnagar Dharmamrut
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAshadhar Pt Khoobchand Pt
PublisherNatharang Gandhi
Publication Year
Total Pages950
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy