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________________ मो.मा प्रकाश SHOOTEEROOOGroofanfoolpoojadoojORfootBefoolcodaeioalacfootacoolad004960015600200 कथन किया था, तैसे व्यवहारका अङ्गीकार कर हैं। यद्यपि ऐसे अङ्गीकार करनेविर्षे दोऊ । नयनिवि परस्पर विरोध है, तथापि करें कहा, सांचा तो दोऊ नयनिका खरूप भास्या नाही, || अर जिनमतविर्षे दोय नय कहे, तिनिविर्षे काहूकों छोड़ी भी जाती नाहीं। तातै भ्रम लिए । | दोऊनिका साधन साधै हैं, ते भी जीव मिथ्यादृष्टी जानने । अब इनिकी प्रवृत्तिका विशेष दिखाईए है-अन्तरंगविर्षे आप तो निर्धार करि यथावत् ।। निश्चय व्यवहार मोक्षमार्गको पहिचान्या नाहीं। जिनआज्ञा मानि निश्चय व्यवहाररूप मोक्षमार्ग दोय प्रकार माने है । सो मोक्षमार्ग दोय माहीं । मोक्षमार्गका निरूपण दोय प्रकार है। | जहां सांचा मोक्षमार्गको मोक्षमार्ग निरूपण सो निश्चय मोक्षमार्ग है । अर जहां जो मोच मार्ग तो है नाहीं, परन्तु मोक्ष मार्गका निमित्त है, बा सहचारी है, ताको उपचारकरि मोक्षमार्ग | | कहिए, सो व्यवहार मोक्षमार्ग है । जाते निश्चय व्यवहारका सर्वत्र ऐसा ही लक्षण है। सांचा निरूपण सो निश्चय, उपचार निरूपण सो व्यवहार, तातै निरूपण अपेक्षा दोय प्रकार मोक्षमार्ग जानना। एक निश्चयमोक्षमार्ग है, एक व्यवहारमोक्षमार्ग है। ऐसें दोय मोक्षमार्ग मानना मिथ्या है । बहुरि निश्चय व्यवहार दोऊनिळू उपादेय माने हैं, सो भी भ्रम है। जाते निश्चय व्यवहारका स्वरूप तौ परस्पर विरोध लिए है । जाते समयसारविर्षे ऐसा कह्या है “व्यवहारो भूदत्थो भूदत्थो देसिऊरण सुद्धणओ।" foolaptoooo/dGfoopcfooggagalaGoodoosMeamwoolpoolSongBlogrozOPIC ar
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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