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________________ धारणतरण ॥ ५१ ॥ विशेषार्थ - कुदेवोंकी भक्ति श्रद्धापूर्वक करना या श्रद्धा के बिना भी देखादेखी करना या उन कृदेवोंकी भक्ति योग्य स्थानमें जाकर बैठना-संगति करना परिणामों में मिध्यास्वको दृढ़ करनेवाला है तथा निर्विकल्प आत्मसमाधि मई रत्नत्रय धर्मसे व परम वैराग्यमय मोक्षमार्ग से दूर रखनेवाला है, संसारके मोह में पटकने वाला है, तीव्र धनादि परिग्रहसे राग बढ़ाकर तीन पापका बन्ध करानेवाला है, अतएव जो बहिरात्मा अज्ञानी मानव ऐसी मूढ़ता करते हैं वे इस बार गतिमई अनेक शारीरिक व मानसिक दुःखोंसे भरे हुए संसार में सदा भयको पाते हैं। उनको सदा हो मरण भय, रोग भय, जरा भय, परलोक भय आदि अनेक प्रकार भय रहते हैं। वे पर्याय बुद्धि शरीर में आपा मानने वाले मत कदाचित् शरीर छूट जावे, बिगड़ जावे, धन चला जावें, स्त्री कहीं न मर जावे, कहीं पुत्रका वियोग न होजावे, कहीं रोग न होजावे, कहीं अपमान न होजावे, कहीं समाज के लोग अप्रसन्न न होजाबे, कहीं राजा रुष्ट न होजावे, कहीं अकस्मात न आजावे इत्यादि भयसे आकुलव्याकुल रहते हुए जीवन बिताते हैं । श्लोक - मिथ्यादेवं च प्रोक्तं च, ज्ञानं कुज्ञान दृष्टते । दुर्बुद्धिः मुक्तिमार्गस्य, विश्वासं नस्यं पतं ॥ ५८ ॥ अन्वयार्थ – ( मिथ्यादेवं च ) मिथ्यादेवोंका या कुदेवोंका स्वरूप (प्रोक्तं च ) इसतरह कहा गया । (ज्ञानं ) इनको सुदेव रूपसे जानना (कुज्ञानं ) कुज्ञान (दृष्टते) कहा जाता । ( मुक्तिमार्गस्य ) मोक्षके मार्ग की ओर (दुर्बुद्धिः ) मिथ्यबुद्धि इनके कारण होती है (विश्वासं ) इनका विश्वास करना (नरयं पतं) नरक में डालने वाला है । विशेषार्थ — वीतराग सर्वज्ञका विशेषण जिनमें न प्राप्त हो वे सर्व ही पूज्यनीय देव नहीं | वे सर्व ही रागी द्वेषी संसारी है। उनका स्वरूप यहां संक्षेप में कहा गया है। इनको सुदेव समझना, पूज्य मानना, मिथ्याज्ञान है । इस ज्ञानके कारण मोक्षमार्ग की तरफ बुद्धि नहीं दौड़ती है । मोक्षमार्ग वीतराग विज्ञानमय है जिसमें अपने शुद्ध आत्माकी दृढ़ श्रद्धा तथा अतीन्द्रिय आनन्दकी ear और विषयसुखकी अश्रद्धा होना आवश्यक है । कुदेवोंकी भक्ति प्रायः संसारिक प्रयोजन श्रावकाचार HU
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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