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मो.मा.
प्रकाश
శనివారం రాం
రాం ని
|| सगुणभक्ति कहै हैं । सो तहां सगुणभक्तिविषे लौकिकश्रृंगार वर्णन जैसे नायक नायिका का || करिए तैसें ठाकुर ठकुरानी का वर्णन करें हैं। स्वकीया परकीया स्त्रीसंबंधी संयोगवियोगरूप ।। | सर्वव्यवहार तहां निरूपै हैं । बहुरि स्नान करती स्त्रीनिका वस्त्र चुरावना, दधि लूटना, स्त्रीनिकै || | पगां परना, स्त्रीनिकै भागे नाचना इत्यादि जिन कार्यनिकों करते संसारी जीव लज्जित होय । तिनि कार्यनिका करना ठहरावै हैं । सो ऐसा कार्य अतिकामपीडित भए ही बने । बहुरि युद्धादिक किए कहें सो ए क्रोधके कार्य हैं । अपनी महिमा दिखावनके अर्थि उपाय किये कहें सो । मानके कार्य हैं । अनेक छल किए कहें सो मायाके कार्य हैं। विषयसामग्री की प्राप्तिके अर्थि | यत्न किए कहें सो लोभके कार्य हैं । कुतूहलादिक किए कहें सो हास्यादिकके कार्य हैं । ऐसें । | ए सब कार्य क्रोधादिकरि युक्त भये ही बनें। याप्रकार का क्रोधादिकरि निपजे कार्यनिकों
प्रगटकरि कहैं, हम स्तुति करें हैं। सो काम क्रोधादिके कार्य ही स्तुतियोग्य भए तो निंद्य । | कौन ठहरेंगे ? जिनकी लोकविषे शास्त्रविर्षे अत्यन्त निन्दा पाईए तिनि कार्यनिका वर्णनकरि स्तुति करना तो हस्तचुगलकासा कार्य है। हमापूखें हैं कोऊ किसीका नाम तो कहै नाहीं अर ऐसे कार्यनिहीका निरूपण करि कहै कि किसीने ऐसे कार्य किए हैं, तब तुम वाकों भला जानौ, के बुरा जानो ? जो भला जानौ तौ पापी भले भए, बुरा कौन भया ? भर बुरे जानौ तो ऐसे कार्य कोई करौ सो ही बुरा भया । पक्षपात रहित न्याय करौ। जो पक्षपातकरि कहोगे
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