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मो.मा. प्रकाश
की पेली कोणी सो भी चूसी जाय नाहीं। कोई स्वादका लोभी वाकू विगारौ तो विगारौ।अर जो काकों बोइ दे तो वाके बहुत सांठे होंइ तिनिका स्वाद बहुत मीठा आवै। तैसें मनुष्यपर्यायका बालवृद्धपना तो | सुख भोगने योग्य नाहीं।अर बीचिकी अवस्था सो रोग क्लेशादिकरि युक्त तहांसुख होइ सकै नाहीं।। कोई विषयसुखका लोभी याकौं विगारों तौ विगारो। अर जो याकौं धर्मसाधनविषै लगावै तौ बहुत ऊंचे पदकौं पावै । तहां सुख बहुत निराकुल पाइए । तातै इहां अपना हित साधना,सुख । होनैका भ्रमकरि वृथा न खोवना । बहुरि देवपर्यायविषै ज्ञानादिककी शक्ति किछु औरनिते विशेष है। मिथ्यात्वकरि अतत्त्वश्रद्धानी होय रहे हैं। बहुरि तिनिकै कषाय किछु मन्द हैं। तहां भवनवासी व्यंतर ज्योतिष्कनिकै कषाय बहुत मन्द नाहीं अर. उपयोग तिनिका चंचल बहुत अर किछु शक्ति भी है सो कषायनिके कार्यनिविषे प्रवर्ते हैं। कुतूहल विषयादि कार्यनिविषै लगि रहे हैं सो तिस आकुलताकरि दुखी ही हैं। बहुरि वैमानिकनिकै ऊपरिऊपरि विशेष मन्दकषाय है अर शक्ति विशेष है ताते आकुलता घटनैते दुख भी घटता है। इहां। देवनिकै क्रोधमान कषाय है परन्तु कारन थोरा है । तातै तिनिके कार्यकी गौणता है । काहूका बुरा करना काहूकौं हीन करना इत्यादि कार्य निकृष्ट देवनिकै तौ कौतूहलादिकरि हो है । अर उत्कृष्ट देवनिकै थोरा हो है मुख्यता नाहीं। बहुरि माया लोभ कषायनिके कारण पाइए हैं। ताते तिनिके कार्यकी मुख्यता है । तातै छल करना विषयसामग्रीकी चाहि करनी इत्यादि
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