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मो.मा.
प्रकाश
परिणाम जैसे सामग्रीके निमित्त सुखी दुःखी न होइ तैसैं साधन करै । बहुरि सम्यग्दर्शनादि भावनाहीत मोह मन्द होइ जाय तब ऐसी दशा होइ जाय जो अनेक कारण मिलो आपकौं । सुखदुःख होइ नाहीं। जब एक शांतदशारूप निराकुल होइ सांचा सुखकौं अनुभवै तब सर्व | दुःख मिटै सुखी होइ । यह सांचा उपाय है । बहुरि आयुकर्मके निमित्त पर्यायका धारना सो जीवितव्य है पर्याय छूटना सो मरन है । बहुरि यह जीव मिथ्यादर्शनादिकतें पर्यायहीकों आपो | | अनुभवै है। तातें जीवितव्य रहै अपना अस्तित्व माने है। मरन भये अपना अभाव होना|
माने है । इसही कारण ते सदाकाल याकै मरनका भय रहे है। तिस भयकरि सदा आकुलता | रहे है। जिनिकौं मरनका कारन जानै तिनिस्यों बहुत डरै। कदाचित् उनका संयोग बणे | तौ महाविह्वल होइ जाय । ऐसे महा दुखी रहै है । ताका उपाय यह करै है जो मरनके कारननिकों दूर राखै है वा उनस्यों आप भागै है। बहुरि औषधादिकका साधन करै है गढ़ कोट आदिक बनावै है इत्यादि उपाय करै है। सो यह उपाय झूठा हैं जाते आयु पूर्ण भए तौ | अनेक उपाय करै है अनेक सहाई होंय तो भी मरन होइ ही होइ। एक समयमात्र भी न | जीव । अर यावत् आयु पूर्ण न होइ तावत् अनेक कारन मिलौ सर्वथा मरन न होइ ताते | उपाय किए मरन मिटता नाहीं । बहुरि आयुकी स्थिति पूर्ण होइ ही होइ। तातें मरन भी || होइ ही होइ । याका उपाय करना झूठा ही है। तो सांचा उपाय कहा है ? सम्यग्दर्शना