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प्रकाश
रोक्या अर यह कह्या पांच ग्रामनिविषै जावो परन्तु एक दिनवि एक ही ग्रामों जावो । । तहां उस पुरुषकै बहुत ग्राम जानेकी शक्ति तो द्रष्य अपेक्षा पाइये है अन्य कालविषै सामर्थ्य
होय, वर्तमान सामर्थ्यरूप नाहीं है । परन्तु वर्तमान पांच ग्रामनितें अधिक ग्रामनिविष गमन । करि सके नाहीं । बहुरि पांच ग्रामनिविषै जानेकी पर्यायअपेक्षा वर्तमान सामर्थ्यरूप शक्ति है ताते इनिवि गमन करि सके है । बहुरि व्यक्तता एक दिनविषे एक ग्रामकों गमन करनेही || की पाइये है तैसें इस जीवकै सर्वकौं देखनेकी जाननेकी शक्ति है । बहुरि याकौं कर्मने रोक्या अर इतना क्षयोपशम भया कि स्पर्शादिक विषयनिकों जानो घा देखो परंतु एक कालविषे एकहीकौं जानौ वा देखो। वहाँ इस जीवकै सर्वके देखने जाननेकी शक्ति तौ द्रव्यअपेक्षा | पाइये है अन्यकालविणे सामर्थ्य होय परम्तु वर्तमान सामर्थ्यरूप नाहीं जातें अपनेयोग्य विषय- 11 || नितें अधिक विषयनिकों देखि जानिसकै माहीं। बहुरि अपने योग्य विषयनिकों देखने जाननेकी ॥ | पर्याय अपेक्षा वर्तमान सामर्थ्यरूप शक्ति है सातें इनिकौं देखि जानि सके है । बहुरि व्यक्तता | एक कालविणे एकहीकों देखनेकी वा जाननेकी पाइये है । बहुरि इहां प्रश्न-जो ऐसें तो जान्या परन्तु क्षयोपशम तौ पाइये अर बाह्य इंद्रियादिकका अन्यथा निमित्त भए देखना जानमा न होय वा थोरा होय वा अन्यथा होय सो ऐसे होते कर्महीका निमिस तौ न रह्या ? ताका समाधान
जैसे रोकनहारानें यह कह्या जो पांच ग्रामनिविवे एक ग्रामकों एक दिनविषै जावो