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________________ नमः सिद्धेभ्यः । मोक्षमार्गप्रकाश | दोहा । मंगलमय मंगलकरण, वीतरागविज्ञान । नमीं ताहि जातें भये, अरहंतादि महान ॥ १ ॥ करि मंगल करिहौं महा, ग्रंथकरनको काज । जातें मिले समाज सब, पावै निजपदराज ॥२॥ अथ मोक्षमार्गप्रकाशनाम शास्त्रका उदय हो है । तहां मंगल करिये है, — णमो अरहंताणं । णमो सिद्धाणं । रामो आइरियाणं । णमो उवज्झायाणं। णमो लोए सव्व साहूणं । यह प्राकृतभाषामय नमस्कारमंत्र है, सो महामंगलस्वरूप है। बहुरि याका संस्कृत ऐसा हो हैनमोऽर्हद्भ्यः। नमः सिद्धेभ्यः । नमः आचार्येभ्यः । नमः उपाध्यायेभ्यः । नमोलोके सर्व | साधुभ्यः । बहुरि याका अर्थ ऐसा है, नमस्कार अरहंतनिके अर्थ, नमस्कार सिद्धनिके अर्थ, | नमस्कार आचार्यनिके अर्थ, नमस्कार उपाध्यायनिके अर्थ, नमस्कार लोकविषै सर्वसाधुनि के अर्थ, ऐसे याविषै नमस्कार किया, तातैं याका नाम नमस्कार मंत्र है । अथ इहां जिनकूं नम
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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