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________________ १६० ... ... १०४ १६६ २०३ २१६ तियंचगतिके दुःख ... नैयायिकमत निराकरण १६१ मनुष्यगतिके दुःख ... ... ... ... १०० वैशेषिकमत निराकरण १६४ देवगतिके दुःख ... ... ... ... १०२ मीमांसकमत निराकरण दुःखका सासास्यस्वरूप जैमिनीयमत निराकरण सिद्ध अवस्थामै दु.खों के कारणों का अभाव होनसे वौद्धमत निराकरण २०० दुःखौका अभाव ... ... ... ... १०७ चार्वाकमत निराकरण चौथा अधिकार अन्यमतके ग्रन्थोंसे जैनमतकी समीचीनता २०६ १० मिथ्यादर्शन मिथ्याशान और मिथ्याचारित्रका स्वरूप ११३ । श्वेताम्बरमत निराकरण मिथ्यादर्शनका स्वरूप ... ... ... ११३ ढूंढकमत निराकरण ... ... २४० मिथ्याशान का स्वरूप ... ... ... १२६ | छठा अधिकारमिथ्याचारित्रका स्वरूप ... ... ... १६२ १२ कुदेवादिकका निरूपण और निषेध २५५ रागद्वेषका विधान श्रीर विस्तार ... ... १३३ १३ कुगुरुके श्रद्धातादिका निषेध ... ... २६६ पांचठा अधिकार २४ कुधर्मका निरूपण ११ गृहीत मिथ्यात्वका निरूपण १४३ साता अधिकारअद्वैत ब्रह्मवादी के सर्वव्यापकत्व का निराकरण १४३ | १५ जैनमतानुयायी मिथ्यातियोका स्वरूप ... २६३ सष्टिकर्तृत्ववादका निराकरण ... ... १४% केवल निश्चय नयावलम्बी जैनाभासोंका निरूपण २६४ ब्रह्माके सृष्टिकर्तृत्व, विष्णु के रक्षकत्व और महेशके केवल व्यवहारावलम्बी जैनाभासोंका निरूपण ... ३२४ संहारकर्तृत्वका निराकरण १५७ कुलप्रवृत्ति श्रादिस जैनधर्मको धारण करनेवाले मि. लोकके अनादि निधनपने की पुष्टि ... . थ्यादृष्टियोकी धर्मसाधना गुरुभक्ति शास्त्रभक्ति तत्वाअवतार मीमांसा ....... र्थ श्रद्धा चारित्रधारणा आदि ... ३३४ यज्ञ सम्बन्धी पशुहिंसाका विचार .......... निश्चय और व्यवहार दोनोंका अवलम्बन करनेवाले निगुण और सगुण भक्तिकी मीमांसा.... १७३ मिथ्यादृष्टियोंका निरूपण ... ... ३७७ शानयोगसे मुक्ति माननेका विचार .... सम्यक्त्वके सम्मुख मिथ्याष्टियोंका निरूपण ३१२ अन्यमतकल्पित मोक्षमार्गकी मीमांसा .... १८४ पाठमां अधिकार-- मुसलमानोंके मत विषयक विचार ... १६ उपदेशका स्वरूप ... ४०७ सांख्यमत निराकरण १८ प्रथमानुयोगका प्रयोजन ४०E १६६ १७२ १७८ १८६
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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