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________________ वारणतरण ॥१८०॥ 199999 श्लोक – उत्तमक्षमा उत्पाद्यंते, उत्तम तत्व प्रकाशकं । अमलं अप्प सद्भावं, उत्तमधर्मं च निश्वयं ॥ १७२ ॥ अन्वयार्थ — ( उत्तम क्षमा उत्पार्थते ) जहां उत्तम क्षमा पैदा हो, जो ( उत्तम तत्व प्रकाशकं ) उत्कृष्ट आत्मतत्वका प्रकाशक हो, जो (अमलं) रागादि मल रहित हो ( अप्पसद्भावं ) जो आत्माका स्वभाव हो वही (निश्वयं च उत्तम धर्म ) निश्चयसे उत्तम धर्म है । विशेषार्थ - यहां उत्तम धर्म या निश्चय धर्मका स्वरूप कहते हैं। जहां परिणामों में ऐसी आत्मतल्लीनता हो व ऐसा उपेक्षा भाव हो कि परिणामोंकी भूमिका उत्तम क्षमामयी बन गई हो । क्रोधके कारण मिलनेपर भी क्रोध न उपजे । कोई सहस्रों दुर्वचन कहें कोई मारे पीछे अपमान करे, तौभी वज्रके समान स्थिर रहे, परम समताभाव घारी हों, जहां कंचन लोष्ट समान हो, शत्रु मित्र समान हो, जीवन मरण समान हो, जहां श्रुतज्ञानके बलसे भावश्रुतज्ञानको समझ लिया हो । सर्व द्वादशांगका सार शुद्धात्मा है, उसके अनुभवका प्रकाश होगया हो, राग द्वेषादि मलीन भावोंका राग छूट गया हो अर्थात् आत्माका ज्ञान दर्शन सुख वीर्यमय स्वभावमें एकतानता हो, श्रुतज्ञानके द्वारा स्वसंवेदन प्रत्यक्षपने ज्ञात हो वही निश्चय उत्तम धर्म है। श्री योगेन्द्राचार्य योगसार में कहते हैंरायरोस वे परिहरई जो अप्पा शिवसेइ । सो धम्मु वि जिणुउतियड जो पंचम गइ देइ ॥ ४७ ॥ भावार्थ - राग द्वेष दोनोंको छोड़कर जो आत्मामें निवास करता है वही धर्मको सेवन करता ऐसा जिनेन्द्रने कहा है । तथा वही पंचमगति मोक्षको पासक्ता है । श्लोक - मिथ्यासमय मिथ्यात्व, रागादिमलवर्जितः । असत्यं अनृत न दिष्टंते, अमलं धर्म सदा बुधैः ॥ १७३ ॥ अन्वयार्थ - ( मिथ्या समय ) मिथ्या आगम व मिथ्या पदार्थ ( मिथ्यात्व ) मिथ्यादर्शन व ( रागादि मल वर्जितः) रागादि मल से रहित जहां (असत्यं अनृत न दिष्टते) असत्य व मिध्यात्व नहीं दिखलाई पडे ऐसा (अमलं धर्म ) निर्मल धर्म ( सदा ) सदा ही ( बुधैः) बुद्धिमानोंसे माना गया है । विशेषार्थ- शुद्ध धर्म वही है जिस मम सत्य पदार्थोंका कथन हो, मिथ्या एकांत पदार्थोंका आबकाज़ार ॥१८०॥
SR No.600387
Book TitleTarantaran Shravakachar evam Moksh Marg Prakashak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorTaranswami, Shitalprasad Bramhachari, Todarmal Pt
PublisherMathuraprasad Bajaj
Publication Year1935
Total Pages988
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size30 MB
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