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________________ संवेगरंगसाला भकूतकथादेशकथयोः स्वरूपम् । ॥५६८॥ इच्चाऽऽइनेवत्थकहा। गया इत्थिकहा ॥ भत्तकहा वि चउद्धा, आवायकहा तहेव निवावे । आरंभकहा तइया, निट्ठाणकहा चउत्थी उ ॥७३७५॥ आवायकहा इह रसवतीए, एवइयगाउ सागाऽऽई । एत्तियमेत्ता य घयाऽऽ-इणो रसा पुण पउत्त त्ति ॥७३७६॥ इच्चाइ आवायकहा । निव्वावकहा भन्नइ, एत्तियमेत्ता उ वैजणपयारा । तह पक्कन्नविसेसा, एवइया तत्थ भोज्जे ति ॥७३७७॥ इच्चाऽऽइ निव्वावकहा । अह आरंभकहा पुण, जलथलखहयरजियाण उवओगो। एत्तियमेत्ताण फुडं, संजायइ तत्थ भोज्जे ति ॥७३७८॥ इच्चाऽऽऽ आरंभकहा । निट्ठाणकहा एसा, सयं वे पंच व सया सहस्सं वा । कि बहुणा लक्खाऽऽइ वि, उवजुजइ तत्थ भोजे ति ॥७३७९॥ इचाऽऽइ निट्ठाणकहा। भणिया भत्तकहा ॥ देसकहा वि चउद्धा, छंदकहा विहिकहा वियप्पकहा । नेवत्थकहा य तहा, तत्थ य देसो उ मगहाऽऽई ॥७३८०॥ छंदो गम्माऽगम्मं, जह किर लाडाण माउलगधूया। गम्मा गोल्लाऽऽईणं, भगिणि चिय सा अगम्मेव ।।७३८१॥ अहवा उ उइच्चाणं, माउसवत्ती जहा भवे गम्मा। अन्नेसि नेव तहा, जणणि व्व इमा उ छंदकहा ॥७३८२॥ इच्चा छंदकहा । ॥५६८॥ ITA
SR No.600386
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinchandrasurishekhar, Hemendravijay, Babubhai Savchand
PublisherKantilal Manilal Zaveri
Publication Year1969
Total Pages836
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size20 MB
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