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संवेगरंगसाला
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॥६६३९॥
विहरित्था य जिणेणं, समं पढंतो पराए सद्धाए । थेराण अंतियम्मि, सामाइयमाऽऽ अंगसुर्य अह अन्नया कयाई, पयंडमायंडकरकरालम्मि । जायम्मि गिम्हणाले, संतत्ते मेहणितलम्मि वायंतेसु य पवणेसु, सक्करुके रफरुसफरुसेसु । अन्हाणवसकिलंतो, इमं कुलिंग विचि तेह समणा तिदंडविरया, भगवंतो निहुयसंकुचियगत्ता | अजिइंदियदंडस्स य, होउ तिदंडं महं चिंध लोइंदियमुंडा संजया उ, अहयं खुरेण ससिहागो । थूलगपाणिवहाओ, वेरमणं मे सया होउ निक्किचणा य समणा, ममं पुणो होउ किं चणं किचि । सीलसुगंधा समणा, अहयं सीलेण दुग्गंधो ॥६६४० ॥ aarयमोहा समणा, मोहच्छन्नस्स छत्तयं होउ । अणुवाहणा य समणा, मज्झ तु उवाहणा होतु ॥६६४१॥ सुकंवरा य समणा, निरंडबरा मज्झ धाउरत्ताई । वत्थाई होतु जमन्हं, अरिहामि कसायकलुसमई ॥ ६६४२॥ वज्जेति वञ्जभीरू, बहुजीवसमाऽऽउलं जलाऽऽरंभं । होउ मम परिमिएणं, जलेण ण्हाणं च पियणं च ||६६४३ | इय सच्छंदविगप्पिय - विचित्तबहुजुत्तिनिवहसंजुत्तं । समणविलकूखणरूवं, पारिव्वज' पवत्तेइ ॥६६४४॥ विहरइ य जिणेण समं, भव्वे पडिवोहिउ समप्पड़ य । सीसत्तेणं भुवणेक- भाणुणो उसभसामिस्स ।।६६४५।। अह भरहेणोसरणे, निष्पडिमिस्सरियम रहओ ददु । होहिन्ति केत्तिया ताय !, तुज्झ सरिस त्ति पुट्ठेण ॥ ६६४६॥ सिड्डा अजियाऽऽइजिणा, जयगुरुणा चक्किणो य पुट्ठेण । अप्पुट्टेण वि सिट्ठा, हरिहलिणो पुण भणइ भरहो ||६६४७|| भयवं ! किमेत्तियाए, सदेवमणुयाऽसुराए परिसाए । तुह संतियाह होही, इह भरहे कोई तित्थयरो ॥ ६६४८।।
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॥६६३७॥
॥६६३८||
मरिचेः त्रिदण्डवेष
कल्पना
पर्षदायां
मरिचेः तीर्थंकरादिविषययः प्रश्नः
च ।
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