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दंडकप्रकरणम्
॥३३॥
CHANAKAMASKAARAK
अर्थ॥ अथ श्रीदंडकप्रकरणं मूलसहितं हिन्दी अनुवादसहितं प्रारभ्यते ॥
सहितम् है नमिउंचउवीसजिणे तस्सुत्तवियारलेसदेसणओ। दंडगपएहिंतेच्चिय थोसामिसुणेहभोभवा ॥१॥
(नमिउंचउवीसजिणे) चोवीश जिनेश्वरोको नमस्कारकरके (तस्सुत्तवियारलेसदेसणओ) उणुंके सूत्रोंमें कहा विचार लेशमात्र कहनेसे (दंडगपएहिंतेच्चिय) दंडगके पदोंकरके उन भगवांनोकी (थोसामिसुणेहभोभवा) मैं स्तवना करताहुं सो हेभव्यप्राणिजीवो तुम सुनो ॥१॥ नेरइआअसुराई पुढवाईबेइंदियादओचेव । गष्भयतिरियमणुस्सा वंतरजोइसियवेमाणी ॥ २॥ || | (नेरइआ) सात नरकको १ दंडक (असुराई ) असुरादि भुवनपतिका १० दश दंडक (पुढवाई) पृथ्वीकायादि पांच स्थावरके ५ दंडक (बेइंदियादओचेव) दो इंद्रियादि विकलेंद्रिके ३ दंडक (गष्भयतिरिय) गर्भजतिर्यचका २० मादंडक (मणुस्सा) गर्भज मनुष्यका २१ मांदंडक (वंतर) व्यंतरका २२ मादंडक (जोइसिय) ज्योतिषि देवोका २३६ मादंडक (वेमाणि) और वैमानिक देवोंका २४ मादंडक ऐसे सब मिलकर चोवीश दंडक समज लेना ॥२॥ संखित्तयरीउइमा सरीरमोगाहणायसंघयणा । सन्नासंठाणकसाया लेसइंदीयदुसमुघाया॥३॥