SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 54
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ नवतत्त्वसार्थ भाषाटीकासहित. ॥२३॥ teSHASHISH १२ (आइतितणु) आदिके तीन शरीरका (णुवंगा) अंगोपांग १५ (आइमसंघयणसंठाणा) आदि वरिषभनाराच संघयण १६ और प्रथम संस्थान समचोरस १७ ॥१५॥ वण्णचउक्कागुरुलह परघाऊसासआयवुज्जोयं सुभखगइनिमिणतसदस सुरनरतिरियाउतित्थयरं॥१६॥ (वण्णचउक्का) शुभवर्णादिचार २१ (अगुरुलहु) अगुरुलघु २२ (परघा) पराघातनाम कर्म २३ (ऊसास) स्वासोस्वास नामकर्म २४ (आयव) आताप नामकर्म २५ (उज्जोयं) उद्योतनामकर्म २६ (सुभखगइ) शुभबिहायोगति जिस कर्मके उदयसें जीवकी हंससमान चाली हो २७ (निमिण) निर्माण नामकर्म २८ (तसदस) त्रस दशक ३८ इस दशकेका भेद आगेकी गाथासें कहेंगे (सुर) देवआयु नामकर्म ३९ (नर) मनुष्यआयु नामकर्म ४० (तिरियाउ) द तिर्यचआयु नामकर्म ४१ (तित्थयरं) और तीर्थकरनामकर्म ४२ ॥ १६॥ . | तसबायरपजत्तं पत्तेयथिरंसुभंचसुभगंच । सुस्सरआइज्जजसं तसाइदसगंइमंहोइ ॥ १७ ॥ (तस) सनामकर्म १ (बायर) बादरनामकर्म २ (पज्जत्तं) पर्याप्तनामकर्म एक लबधि पर्याप्ता दुजाकरणपर्याप्ता ऐसे दो भेद ३ (पत्तेय) प्रत्येकनामकर्म ४ (थिरं) स्थिरनामकर्म ५ (सुभं) शुभनामकर्म ६ (च) और (सुभगं) सौभाग्यनामकर्म ७ (च) और (सुस्सर) सुस्वरनामकर्म जिसका स्वर कोकिलाकी तरह मधुर हो ८(आइज्जा) आदेयनामकर्म ९ (जसं ) यशकीर्तिनामकर्म १० (तसाइ) त्रस आदिक (दसगं) दशक (इमहोइ) इस प्रकारसें है द॥१७॥ इतिपुण्यतत्त्वम् ॥ AMAVSACARSACARRIA का॥२३॥
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy