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________________ भावार्थ-सूक्ष्म पृथ्वीकाय आदि जीव, सूक्ष्म और बादर साधारण वनस्पतिकायके जीव और सम्मूर्छिम मनुष्य, द उत्कर्षसे और जघन्यसे सिर्फ अन्तर्मुहूर्त तक जीते हैं. प्रश्न-पल्योपम किसको कहते हैं ? उ०-असंख्य वर्षोंका एक पल्योपम होता है. प्र०-सागरोपम किसे कहते हैं ? उ०-दस कोड़ा कोड़ी पल्योपमका एक सागरोपम होता है. . प्र०-पूर्व किसको कहते है? उ०-सत्तर लाखक्रोड, छप्पन हजार करोड़ वर्षों का एक पूर्व होता है. है ओगाहणाउमाणं, एवं संखेवओ समक्खायं । जे पुण इत्थ विसेसा, विसेस सुत्ताउ ते नेया॥३९॥[3] (एवं) इस प्रकार (ओगाहणाउमाणं) अवगाहना-शरीर और आयुका मान (संखेवओ) सङ्केपसे (समक्खायं ) कहा गया (जे पुण इत्थ) यहाँ जो बातें (विसेसा) विशेष हैं, (विसेस सुत्ताउ) विशेष सूत्रोंसे (ते) उनको (नेया) जानना ॥ ३९॥ भावार्थ-देह-मान तथा आयु-मानके विषयमें विशेष बातें जानना हों, तो "संग्रहणी," "प्रज्ञापना" आदि सूत्रोंसे जानना चाहिये. एगिदिया य सवे, असंख उस्सप्पिणी सकायंमि । उववजंति चयंतिअ, अणंतकाया अणंताओ ॥४०॥ (सवे) सब (एगिंदिया) एकेन्द्रिय जीव (असंख उस्सप्पिणी) असंख्य उत्सर्पिणी तथा अवसर्पिणी तक (सका 4%AAAAAA%
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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