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________________ जंबूद्वीप संघयणीप्रकरणम् ॥ ४८ ॥ भावार्थ - उत्तरकुरु और देवकुरु इन दोनो क्षेत्रांकी क्रमसें, सीता और सीतौदा नदियांमें छ छ अंतर नदिये मिलती है. और प्रत्येक नदीका परिवार चउदह २ हजार नदियांका है ॥ फिर पश्चिम महाविदेही, शोले विजयांमें प्रत्येक विजयके अन्दर, रक्ता. और रक्तवती, इन नामकी दो नदिये होनेसे बतीश नदिमें होती है. और इन प्रत्येकका चौदह २ हजार नदियांका परिवार है ॥ २३ ॥ चउदस सहस्स गुणिया, अडतीस नइओ विजय मझिल्ला। सीओयाए निवडंति, तहय सीयाइं एमेव २४ अर्थ - ( विजय मझिला ) महाविदेहकी पश्चिम शोले विजयके अन्दरकी ३२ व छ. अंतर नदिये यह मिलाकर, (अडतीस नइओ) अडतीस नदियांको ( चउदस सहस्स गुणिया ) चौदह हजारसै गुणा करते पांच लाख बत्तीस हजार ( ५३२००० ) नदिये होती है. यह सर्व (सीओयाए) सीतौदाके अन्दर ( निवडंति ) मिलती है, (तहय) ऐसेही ( सीयाई) सीता नदीके अन्दरभी. ( एमेव ) एसेही याने पूर्व शोले विजयकी, और छ. उत्तरकुरु क्षेत्रकी अंतर नदिये यह सब मिलकर पूर्व संख्यावत् ( ५३२००० ) नदिये मिलती है ॥ २४॥ भावार्थ- पश्चिम शोले विजयके अन्दरकी बत्तीस पश्चिम विदेहक्षेत्रकी अन्तरनदिये छ. इन अडतीश नदियांको चौद हजारसे गुणा करनेपर "पांच लाख बतीश हजार ( ५३२००० ) नदियें होती है. और यह सब सीतोदा नदीमें जाके मिलती है” एसेहि पूर्वी शोले विजयकी बतीश और पूर्वविदेह क्षेत्रकी अन्तर छ. यह अडतीश नदियें भी पूर्वोक्त हिसाब से ( ५३२००० ) के परिवारसे सीता नदीमें जाके मिलती है ॥ २४ ॥ २ अर्थसहितम् 1184 11
SR No.600385
Book TitleJivvicharadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJinduttasuri Gyanbhandar
PublisherJinduttasuri Gyanbhandar
Publication Year1928
Total Pages306
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size22 MB
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