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________________ MASSASAHES ॥ १५७ ॥ अह निम्विन्ना सव्वे, पत्ता विजाइया सठाणेसु । तो मरणभयाउरिओ, अट्टज्झाण गओ नदो ॥१५८॥ आजम्मगामिएहिं, पढमकसाएहिँ गलियसम्मत्तो। जिणधम्ममि जलासय-निसेहदोसं वहतो य ॥१५९।। बद्धतिरियाउओ सो, तत्तो मरिऊण तीइ वावीए । मंडुक्कीए गंब्भे, पब्भूओ ददरत्तेण ॥१६०॥ तो पुन्नेसु दिणेसु, नीहरिओ तीइ कुब्धिकुहराओ । उम्मुक्कबालभावो य, दद्दरो कीलइ जलंमि ॥ १६१ ॥ अह तत्थ बहू लोओ, वावीए आगओ पयंपेइ । धन्नो स नंदसेट्टी, जेणेसा कारिया वावी ॥ १६२ ॥ तमि मए वि हु अन्ज वि, नंदा नंदु ति नाम जियलोए । जेण ससिकुंदधवला तहेव, कित्ती परिप्फुरद ॥१६३ ॥ इय तत्थ नंदवनण-वयणाइं जंपियाइँ लोएण । सोऊण ददुरो सो, हिययमि विभावए एवं ॥ १६४ ॥ किं कथवि नियमिम, पुव्वं पि मइ ति चिंतयंतस्स । सुहपरिणामवसेणं, जाईसरण समुप्पन्न ॥ १६५ ॥ समरइ नियपुन्वभवं, जे रायगिहमि नंदसिट्ठी है। सिरिवीरजिणसयासे, तइया पडिवन्नगिहिधम्मो ॥ १६६ ॥ ता नियकुवियप्पाओ, मिच्छ तगएण कारिया वावी। हीही भग्गपइन्नो, गिहिधम्माओ पभट्ठो हं ॥ १६७ ॥ तं दुविलसियमेयं, जमई मरिऊण दहरो जाओ । नियमइकप्पियधम्मा, कह वा सुगई लहंति जओ ॥१६८ ॥ नियगमई विगप्पियचिंतिएण, सच्छंदबुद्धिरइएण। कत्तो पारत्तहिय, कीरइ गुरुअणुवएसेणं ॥ १६९ ॥ तइया तन्हाइदुई, अहियं हिययमि भाविऊण मए। वावी धम्मच्छलओ, पावट्ठाणं इमं विहियं ॥ १७० ॥ इत्थ य अणुदियहं पि हु, अणेगजीवाण होइ संहारो । जिणधम्मस्स तरुस्स व, मूलं पुण पभणिया करुणा ॥ १७१ ॥ ता मे जुज्जइ. इन्हि पि, गिन्हिउँ पुवगहियगिहिधम्मं । जं भुत्ताई इमाइं, जिणवयणुल्लंघणफलाई,
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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