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यरमणी-नियरो सोहइ सहातुल्ला ॥ १२४ ॥ मोवाणपंतिमुहयं, विसंत मुगंधिकमल सोहिलं । तं नियमावि दृढे, सिट्टी आणंदिओ नंदो ॥ १२५ ॥ अह वावीदाराणं, चउन्हमविअम्गओ विसालाई । नंदणवणतरिसाई, वांडाईच कारवइ ॥ १२६ ॥ अंबयनंबूचंपय-कविठ्ठखज्जूरपिप्पलासोया । नारंगबीजपूरय-दाडिमकोल केलीओ॥ १२७ ॥ इच्चाइणो अणेगे, रुक्खे रोवेइ तत्थ सो सिट्टी । पालई य नियसुए इव, अजायजाए पइदिणपि ॥ १२८ ॥ अह ते पबमाणा, जाया फलफुल्लपल्लवसमिद्धा । जम्मज्झे रविकिरणा, चोरुव्व लहति न पवेसं ।। १२९ ॥ अह पुवदिसासंठिय-वगसंडे कारवेइ चित्तसहं । जालयगवक्रवथंभय-दुवारदिसिभित्तिरमणीयं ॥ १३० ॥ तत्थ तओ सो नंदो, गीयं च अणेगवनपरिकलियं । धवलणकवलणचित्तण-कम्मं कारेइ सवत्थ ॥ १३१ ॥ चित्तसहाए मझे, कारइ सयणासणाइँ विविहाई । जेसु जगा रत्तिदिणं, सुयंति निवि-18 संति य सुहेण ।। १३२ ।। नइतालायरपमुहे , नरे य भत्ताइणा स पोसेइ। जे नट्टकहाईयं, तेसिं पुरओ पयासंति ॥ १३३ ॥ अह दाहिणवणसंडे, सो सिट्टी कारवेइ अइरम्भं । सत्तागारं वि उलं, कुट्ठागारेहिं रमणीयं ॥ १३४ ॥ आइसइ तत्थ भिच्चे, जे रंधेऊण भत्तपाणाई । वियरति अतिहिमाहण-पहियाईणं च रत्तिदिणं ।। १३५ ।। अह पच्छिपवणसंडे, सो कारइ विज्जुसालमइरम्मं । तत्थ य पोसेइ सया, बहुविज्जे मंतिकुसले य ॥ १३६ ॥ ते वाहिविहुरियाणं, जणाण निचं कुणति तेगिच्छं । सिटिनिउत्ता य नरा, ओसहप-थाई पूरंति ॥ १३७ ॥ अह उत्तरवणसंडे, नंदोऽलंकारसालमइविउल । कारेइ तहा दप्पणपंतीओ तत्थ थंभेसु ॥ १३८ । मणुया य तत्थ बहवे, सिटिनिउत्ता कुणंति लोयाण । बलियाण दुबलाग य, सया वि देहस्स सुस्मूसं ॥ १३९ ।। अह तत्थ जणा बहवे, कीलंति जले नियंति नट्टाई। भक्खंति तरुफलाई, सत्तागारेसु य जिमंति ॥१४०॥
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