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________________ क ब | ढदोरेहि ॥ ३९ ॥ वसस्स उवरि गरुयं, निवेसियं कढफलयमेगं च । अंतेसु तस्स निहिया, लोहमया कीलया दो दो है ॥४॥ (वा)यंति तहा जुगवं, वाइवाइंगुरुस्सरं तत्थ । ननिरिक्खणहेउं, आइवणत्थं च लोयाणं ॥४१॥ तत्तो य इलापुत्ती, असिखेडयवुग्गपाणिओ संतो। सच्छिद्दपाउए पहिरिऊण तं वंसमारूढो ॥ ४२ ॥ ।। सा कनया नडो पुण, गाइणिविदेण संगया तत्थ । होऊण वंसमृले, गायइ सरगामसंसुद्धं ॥ ४३ ।। वंसुवरि इलापुत्तो, नच्चेई खग्गखेडएवि समे। पेक्खगजणनिवहाणं, तइया सह अंतकरणेहि ॥४४॥ किरणाइँ सत्त पच्छा-मुहाइ सत्तेव अभिमुहाई च । सो देइ कील. गगए, कुव्वंतो पाउयाछिद्दे ॥ ४५ ॥ तो नट्टेणं तेणं, इमस्स अइसाइणा जणो सन्चो । तह रंजिओ मणे जह, जाओ सब्बस्सदाणमई ॥४६ ।। नवरं पढमं चायं, दिजंतं नरवरेण तस्स तहिं । चिट्ठइ पडिक्खमाणो, बलाउ हत्यमि धरिउ ब्व ॥ ४७ ॥ राया तं पुण कन्नं, पिक्खिय चिंतेइ तीइ अणुरत्तो । परिणेमि अहं एयं, जइ एसो मरइ पडिऊण ॥४८॥ तो भणइ इलापुत्तं, चुकमणो नरवई अहो सम्मं । न तुमं दिवो सि मया, ता पुणरवि देसु किरणाई ॥४९॥ अह कसि. णमुहो जाओ, सन्चोऽवि जणो तहिं ससोउ व्व । तोसाउ इलापुत्तो, वि तह पुणो देइ किरणाई ॥५०॥ तप्पडणाकंखाए, तहेव जंपइ इलामुयं निवई । तत्तो सयलजणेणं, नायं रन्नो मणो दुटुं ।। ५१ ।। आसापिसायनडिओ, इलामुओ ताइ पुणरवि करेइ । किं किं न कुणंति जणा, अंतरिया लोभमुच्छाए?॥५२॥ अइ चिंतइ नरनाहो, अच्छरियमिमस्स मुदिढ अब्भासो । जे एस विसमकिरणे, प्रणी पुणो देह अक्खलिओ ॥ ५३॥ तत्तो जंपइ निवई, दुट्ठो दहण तं परिस्संत । | देस पुणोऽपि हु किरणे, अदरिदं जेण कारेमि ।। ५४ ॥ तं आयभिय कोओ, विरचचित्तो निवम्मि तह जाओ । जह -बकर
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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