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________________ PA5%-80-% एवं, दिणाणि जा सत्त वञ्चति ॥१६२।। अहमहपउमकरेहि, विणिज्जिया तेऽवि मेहमुहदेवा । उवसामंति चिलाए, गाईति य चकिणो आणं ॥ १६३ ॥ तत्तो हिमवंतोवरि, बावत्तरिजोयणट्टियं तियसं । साहइ सरेण नामं च, विलिहए उसमकूडंभि ॥१६४॥ सिंधुनइउत्तरिलं, खंड साहिय उवेइ सेणाणी । तो गंगाए देवि, सिरिमहपउमो वसे कुणइ ।। १६५॥ तत्यवि गंगाइ परं, खंड सेणावई पसाहेइ । अह वेयडूमहानग-मूले आवासिओ चक्की ॥१६६॥ तत्थ य खयरनिवेहि, रणरहसन्भिन्नबहलपुळएहि । सह जुज्झइ महपउमो दुज्जेओ चक्करयणेण ॥ १६७ ।। काऊण महासमरं, नियसेवावित्तिणो कया खयरा । तो बलसहिओ चलिओ, खंडपवायं गुहं पत्तो ॥ १६८ ॥ अह तत्थ नट्टमालं, देवं साहिय तहेव नीहरिओ । गंगाइ दाहिणिल्लं, तो खडं जिणइ सेणाणी ॥१६९॥ चक्की विपयडभूए, गिण्हइ गंगातटाउ नव निहिणो । मयणावलि सरंतो, पत्तो तं तावसारन्नं ॥१७०।। मयणावलिं च मग्गइ, तत्तो सो कुलवई पयंपेइ । जणमेजयस्स धृया, एसा सो पुण विगयरज्जो ॥१७१॥ निवसइ दणम्मि ता तं, मग्गिय गिण्हेसु कन्नयं एयं । चक्की तं आणाविय, ठावइ चंपाइ तह चेव ॥१७२॥ तो जणमेजयदिन्नं परिणइ मयणावलि इओ तस्स । तीए सह जायाई, चोदसरयणाई एयाई ॥ १७३ ॥ सेणावइ १ गाहावइ २-पुरोहि ३ गय ४ तुरय ५ वढई ६ इत्थी ७ । चकं ८ छत्तं ९ चम्म १०, मणि ११ कागिणि १२ खग्ग १३ दंडे य १४ ॥ १७४ ॥ पढमाणि सत्त पंचेंदियाणि एगिदियाणि बीयाणि । जक्खसहस्साहिडिय-मिक्केकं दिव्वरयणं से ॥१७५ ॥ जक्खाण दो सहस्सा, देहं रक्खंति तस्स एवं च । सोलस जक्खसहस्सा, निच्चं वति आणाइ ॥ १७६|| चक्कं छत्तं दंडं, तिन्निवि एयाई वाममित्ताई। चम्मं दीहत्थदीहं बत्तीसं अंगुलाइ असी SEARCBROPERATI ECONOMICS
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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