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________________ विधि 119411 Photos ॥। ४२ ।। ते अणुदिनंपि पिक्खिथ, मच्छर मुम्बइ सानुयाइजगो । जपइ य बुद्धदास, घरणिसरूवं सुगसु वच्छ ! ॥ ४३ ॥ अणुदयहमिति माणणा, गिद्दीन गाणी एगाए। वसघरे इव भूयगा, तावच्छ ! न सुंदरं एवं ॥ ४४ ॥ पाडभग बुद्धदासा, कुडुंबलोय लवेइ मा एवं । मन्न न कुसाळत्तं, इमाइ तुरयस्स सिँग व ।। ४५ ।। आवे जलइ जल जळणो, अवि सूरा पच्छिमाइ उग्गमइ । पवणाडाव हवइ अचळा, नाव एसा चळइ सोळाओ ॥ ४६ ॥ इय तस्स वयणमायन्निऊग मायाइयाइ सव्वाई | बहुयं पर सावसतं, ' देति समच्छरं हिययं ॥ ४७|| पिक्लति सुभदाए छलाइ निचे कलंकदाणकए । जं मच्छरमूढागं, किच्चा कच्चाम्म न वियारा ।। ४८ ।। अन्नदिणे तोइ गिर, भिक्खट्ठा आगआ। मुणा एगा | ताट्ठाए पवि, पण पायं तयं ॥ ४९ ॥ नप्पाड कम्मसरोर-तणआतं तण नव अवणायें । च सुभाए, भिक्खादाणुज्जुयमणाए ॥ ५० ॥ ता चितइ सुभा, निप्पाड कम्मत्तणं अहह सुणिणा । दापाप हु, आसहाभव अवणए ||५|| जइ एवं चिय एवं चिहिस्सइ त इमस्स साहुस्स | पंडाकर भावस्सर, वाहव्व डावाक्ख संता ॥५५॥ इय चितिऊण तीए, दिखाए तस्स साहुणा भव । नियळाघवेण विणयं तं जाहग्गण अवणायं ॥ ५३|| तस्लीत य चंदणतिळआ तक्कालानाम्मआ मुणिणा | माळयल संता दावग इव अवरदीवाआ ॥ ५४ ॥ सा तीए मुणिणाावहु, नव अणाभागजागओ नाओ । कयमालयळा, गुणावि गहाउ नोहरिआ ||५५|| तत्थ सुभद्दाखू, निरिक्खमाणाहि सासुयाह । सी दिट्ठा तह सिठ्ठी, तफाले बुद्धदासस्त ||१६|| त्तय ! पत्तियास तुनं, अम्हागं नव ता सर्वानय । कह सकता एसा, तिळआ सुणिणा निळाडाम्म || ५७ ॥ तं पञ्चक्लं पक्खिय, चितइ मणीम बुद्धदासोडाव । विाहविलासयं व महिलाचार प्रकरणम् ॥७५॥
SR No.600381
Book TitleDharm vidhi Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorUdaysinhsuri, Shreeprabhsuri
PublisherHansvijayji Library
Publication Year1924
Total Pages320
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size24 MB
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