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AHASKAR
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यमेव का जे । मरणमि समासन्ने, तम्हा मुमरामि परमिहि ॥ २८७ ॥ सिरिअरिहंताण नमो, सिद्धाण नमो नमो य|21 मूरोण । उबज्यायाणपि नमो, नमो य साहूण सव्वेसि ।। २८८ ॥ एवं सुहपरिणामो, चाणक्को चइय अप्पणो देहं । उव-18 वनो सुरलोए, विमाणवासोमु नियसबरो ।। २८, ।। अह विंदुसारनिवई, पत्थावे इय मुबंधुणा भणिओ । सामिय ! चाणक्कगिह, अवलोइज्जइ तओ राया ।। २९० ।। तत्थ गओ तं सव्वं, रित्तं पिक्खेइ जाव ता मंती। एगोवरगदुवारं, उग्घाडइ गेहसारकए ॥२९॥ तत्थिक्खइ मंजूसं, उग्घाडइ तपि रयणलोभेण । अह तीसे वि य मज्झे, समुग्गय पिक्खइ सुगंधं ।। २९२ ॥ इह बोयगाणि संति त्ति, भिंदए गंधचुन्नमह तत्थ ! अग्याइय दळं पत्तयं च, सो वायए एवं ।। २९३॥ अग्याइऊण गंधे, एए जो पियइ सीयलं सलिलं । भुंजइ मणुनभुज्ज, वरखाइमसाइमं च तहा ॥ २९४ ॥ जिंघा सुगंधिगन्धे, सुमणसकप्पूरपभिइए सव्वे । पिक्खइ मणोहराई, रूबाई चित्तभित्तीमु ।। २९५ ॥ वीणावेणुरवई, मणुनगीया इयं निसामेइ । महिलातूलीउस्सीसगाइ, फासेइ सेवइ य २९६ ॥ किं बहुणा पंचण्ड वि, विसयाणमणोहरं च जं - सयं । भुंजइ सो जमगेहं, बच्चइ नत्थित्थ सन्देहो ॥ २९७ ॥ विड़ियसिरतुंडमुंडण- वेसो पंतासणाइकयवित्ती । साहु व्ध चिट्टई जइ, ता जीवइ अन्नहा नेव ॥२९८॥ इय तत्य वाइऊणं, चिंतइ मंती सुबंधुनामो सो । विद्धो मह बुद्धोर, मुरण जो मारिओ तेण ॥२९९॥ मइ माहप्पं मु चिय, चाणक्को धरउ जीवलोगंमि । जेण मुएण वि अहयं, जियंतमयगो वि णिम्मविओ ॥३००॥ इय चिंतिऊण तत्तो, कारियसिरतुंडमुण्डणाईयं । जीवियलुद्धो अहियं, सो चिट्ठइ साहुकिरियाए॥ ३०॥ अह बिंदूसारदेवीइ, पुहइतिलयाइ नंदणो जाओ । नामेण असोगसिरी, असोगदलरत्तकरचरणो ॥ ३०२॥ कालेण कला.