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व्याख्या
प्रज्ञप्तिः
अभयदेवी
या वृत्तिः
॥४५४॥
सिया, एगे वत्थे कद्दमरागरत्ते, एगे वत्थे खंजणरागरत्ते, एएसि णं गोयमा ! दोन्हं वत्थाणं कयरे वत्थे दुधोयतराए चैव दुवामतराए चेव दुपरिकम्मतराए चेव । कयरे वा वत्थे सुधोयतराए चैव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव १, जे वा से वत्थे कद्दमरागरते जे वा से वत्थे खंजणरागरत्ते १, भगवं ! तत्थ णं जे से वत्थे कद्दमरागरत्ते से णं वत्थे दुधोयतराए चेव दुवामतराए चैव दुष्परिकम्मतराए चैत्र, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई चिक्कणीकयाई (अ) सिढिलीकयाई खिलीभूयाइं भवंति, संपगाढंपि य णं ते वेदणं वेदेमाणा णो महानिजरा णो महापज्जवसाणा भवंति से जहा वा केइ पुरिसे अहिगरणं आकोडेमाणे महा २ सद्देणं महया २ घोसेणं महया २ परंपराघाएणं णो संचाएइ तीसे अहिगरणीए केई अहाबायरे पोग्गले परिसाडित्तए, एवामेव गोयमा ! नेरइयाणं पावाई कम्माई गाढीकयाई जाव नो महापज्जवसाणाई भवंति, भगवं । तत्थ जे से वत्थे खंजणरागरत्ते से णं वत्थे सुधोयतराए चैव सुवामतराए चेव सुपरिकम्मतराए चेव, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंथाणं अहाबायराई कम्माई सिढिलीकयाइं निट्ठिथाई कम्माई विष्परिणामियाई खिप्पामेव विद्धत्थाई भवंति, जावतियं तावतियंपि णं ते वेदणं वेदेमाणे महानिज्जरा महापज्जवसाणा भवंति से जहानामए - केइ पुरिसे सुक्कतणहत्थयं जायतेयंसि पक्खिवेज्जा, से नूणं गोयमा ! से सुक्के तणहत्थए जायतेयंसि पक्खित्ते समाणे खिप्पामेव मसमसाविज्जति ?, हंता मसमसाविज्जति, एवामेव गोयमा ! समणाणं निग्गंधाणं अहाबायराई कम्माई जाव महापज्जवसाणा भवंति से जहानामए
६ शतके उद्देशः ९ वेदननिर्जरासंबन्धः
मु०२२८
प्र०आ०२५० ॥४५४॥