SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 3
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ संसृत्यर्णवदुःखचक्रमकरैः संत्रस्यमाना जनाः । हस्तालम्बनमाप्य पोतसदृशं भव्यावतंसा बुधाः । आत्मोत्थानपथप्रवृत्तमहतो विनोरगात् पारगाः । यस्योदग्रयशोवितानमधुना विस्तारयन्त्यादरात् मुन्युद्यानविकाशनोधमजुषि सद्देशनाशालिनि । सद्भावावलिभारनिर्भरभृति प्रज्ञादृशा शोभिनि । विश्वानन्दविधायिनि सरमदोन्मादव्यथाध्वंसिनि । पंन्यासप्रवरेऽत्र भावविजये भक्त्या न के के नताः ॥७॥ कथं मुने विश्वजनीनवृत्ते घृणार्णवेन्दो! जनतार्चिता । गुणान् प्रगुण्यानघमर्षिणस्ते ब्रुवेऽखिलान् वन्द्यपदारविन्दे ॥८॥ भावाष्टकमिदं भक्या मूलचन्द्रेण गुम्फितम् । कान्ताचरणमग्नानां कुर्यात् कल्याणमञ्जसा ॥९॥ आ ग्रन्थ प्रकाशित करवामां आर्थिक सहायता आपनार-दानवीर सद्गृहस्थोनी शुभ नामावलिः रु. १५०) शेठ रतिलाल वाडीलाल-राधनपुर रु. १००) शेठ भीमाजी देवीचंद-खीवानदी (मारवाड) रु. १०१) रा. शेठ कान्तिलाल ईश्वरलाल-राधनपुर रु. १००) शेठ पोपटलाल धारसीभाई-जामनगर | रु. १००) शेठ दलपतभाई मोहनलाल पारेख-राधनपुर रु. ५०) शेठ नरोत्तमदास रीखभचंद-राधनपुर रु. १००) शेठ कक्कलभाई नीहालचंद-राधनपुर रु. ५०) हरजी जैन शालाना ज्ञानद्रव्यमाथी ह. रु. १००) शेठ वृद्धिलाल कचराभाई-राधनपुर मोहनलाल भगवानजी पारेख-जामनगर रु. १००) शेठ हरगोविन्ददास जीवराज मणियार-राधनपुर । रु. ५०) शेठ गेनाजी नवाजी-थांवला (मारवाड)
SR No.600374
Book TitleJain Tattva Saragranth Satik
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSurchandra Gani, Manvijay Gani
PublisherVardhaman Satya Niti Harshsuri Jain Granthmala
Publication Year1941
Total Pages328
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy