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________________ नगा विसेसाहिया, सुहुमाया पज्जत्तगा विसससिद्धिया अणं जीवसमासे | वाउकाइया अपज्जत्तगा असंखज्जगुणा, सुहुमतेउकाइया अपज्जत्तगा असंखेज्जगुणा, सुहुमपुढविकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, पंचेन्द्रिय हैमीवृत्ती. सुहुमआउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया अपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमतेउकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, तिर्यग्मानं ॥१४६॥ सुहुमपुढविकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमआउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमवाउकाइया पज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमनिगोयअपज्जत्तगा असंखज्जगुणा, सुहुमनिओया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, अभवसिद्धिया अणंतगुणा, परिवडियसम्मद्दिट्ठी अणंतगुणा सिद्धा अणंतगुणा, वायरवणस्सइकाइया पज्जत्तगा अणंतगुणा, बायरपज्जत्तगा विसेसाहिया, बायरवणस्सइकाइया | अपज्जत्तया असंखज्जगुणा, बायरा अपज्जत्तगा विसेसाहिया, बायरा विसेसाहिया, सुहुमवणप्फइकाइया अपज्जत्तगा असंखज्ज-| | गुणा, सुहुमअपज्जत्तया विसेसाहिया, सुहमवणस्सइकाइया पज्जत्तगा संखेज्जगुणा, सुहुमपज्जत्तगा विसेसाहिया, सुहुमा विसेसाहिया, [तिरिक्खजोणिया विसेसाहिया. भवसिद्धिया विसेसाहिया, निगोयजीवा विसेसाहिया, वणप्फइजीवा विसेसाहिया, शएगिदिया विसेसाहिया, निगोयजीवा विसेसाहिया, वणप्फइजीवा विसेसाहिया, एगेंदिया विसेसाहिया, तिरिक्खजोणिया विसेसा-1 हिया, मिच्छद्दिट्ठी बिसेसाहिया, अविरया विसेसाहिया, सकसाई विसेसाहिया,छउमत्था विसेसाहिया, सजोगी विसेसाहिया, संसार-12 | त्था विसेसाहिया सव्वजीवा विसेसाहियत्ति ।" तदेवमत्र प्रज्ञापनामहादण्डके ये नपुंसकखचरपञ्चेन्द्रियतिर्यगादिराशयो |* ज्योतिष्कपर्यन्तदेवेभ्योऽसंख्येयगुणादिस्वरूपा उक्ताः तेषामपि राशीनामुपयेवाग्रतः पर्याप्ताः पंचेन्द्रिया विशेषाधिकत्वेन पठिता 31 & इति कथं पर्याप्ताः पंचेन्द्रियतियंचो देवेभ्योऽसंख्ययगुणा न भवेयुः । अथ महादण्डके पर्याप्तपञ्चेन्द्रियग्रहणेन चतुर्गतिका अपि |॥१४६॥ सामान्यतः पर्याप्तपञ्चेन्द्रिया गृहीता इति बहुत्वाद्देवेभ्यस्ते युज्यन्त एवासंख्यातगुणाः, नतु प्रस्तुतग्रन्थगाथोक्ताः पर्याप्तपञ्चेन्द्रिय
SR No.600370
Book TitleJiv Samas Prakaranam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemchandrasuri
PublisherAgmoday Samiti
Publication Year1927
Total Pages308
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size26 MB
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