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सेए जाव विसन्ने चउत्थे पुरिसजाए ||९|| पूर्ववत् सुगमं ||९|| अथ पंचमं पुरुषं आश्रित्य आहअह भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव परक्कमण्णू अन्नतरीओ दिसाओ वा अणुदिसाओ वा आगम्म तं पुखरणिं, तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा पासादीअं महं एगं पउमवरपुंडरीअं जाव पडिरूवं, ते तत्थ चत्तारि पुरिषजाए पास पहीणे तीरं अपत्ते जाव अंतरा पुक्खरिणीए सेयंसि विर्सने,
सेभिक्खू एवं वयासि, अहो णं इमे पुरिसा अखेयन्ना जाव णो मग्गस्स गतिपरक्कमण्णू जणं एते पुरिसा एवं मन्ने, अम्हे एयं पउमवरपुंडरीअं उण्णिक्खिस्सामो, णो य खलु एवं पउमवरपुंडरीअं एवं उन्निक्खेअव्वं जहा णं एए पुरिसा मन्ने, अहमंसि भिक्खू लूहे तीरट्ठी खेयन्ने जाव मग्गस्स गतिपरक्कमण्णे, अहमेअं पउमवरपुंडरीअं उन्निक्खिस्सामित्ति कट्टु इति वच्चा से भिक्खू णो अभिक्कमेतं पुक्खरिणिं तीसे पुक्खरिणीए तीरे ठिच्चा सद्दं कुज्जा, उप्पयाहि खलु भो पउमवरपुंडरीया उप्पयाहि, अह से उप्पइए पउमवरपुंडरी ॥ १० ॥
(१) M- णिसत्रे
וופון