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________________ श्रीसूत्रकृताङ्ग चूर्णि: ॥१७१॥ तेसिं णं भगवंताणं इमा एतारूवा जायामायावित्ती होत्था, तं जहा-चउत्थे भत्ते, छटे भत्ते, अट्ठमे | द्वितीयभत्ते, दसमे भत्ते, दुवालसमे भत्ते, चोद्दसमे भत्ते, अद्धमासिए भत्ते, मासिए भत्ते, दोमासिए भत्ते, श्रुतस्कन्धे | तेमासिए भत्ते, चउम्मासिए भत्ते, पंचमासिए भत्ते, छम्मासिए भत्ते, अदुत्तरं च णं उक्खित्तचरगा द्वितीयणिक्खित्तचरगा उक्खित्तणिक्खित्तचरगा अंतचरगा पंतचरगा लूहचरगा समुदाणचरगा संसट्टचरगा मध्ययनम् असंसट्ठचरगा तज्जातसंसट्ठचरगा दिट्ठलाभिया अदिट्ठलाभिया पुट्ठलाभिया अपुट्ठलाभिया भिक्खलाभिया । अभिक्खलाभिया अण्णातचरगा अन्नगिलातचरगा ओवणिहिता संखादत्तिया परिमितपिंडवातिया सुद्धेसणिया अंताहारा पंताहारा अरसाहारा विरसाहारा लूहाहारा तुच्छाहारा अंतजीवी पंतजीवी पुरिमड्डिया आयंबिलिया निव्विगतिया अमज्ज-मंसासिणो णो णियामरसभोई ठाणादीता पडिमट्ठादी णेसज्जिया । | वीरासणिया दंडायतिया लगंडसाईणो आयावगा अवाउडा अकंडुया अणिहा धुतकेस-मंसु-रोम-नहा। सव्वगायपडिकम्मविप्पमुक्का चिटुंति । ॥१७१॥ तेणं एतेणं विहारेणं विहरमाणा बहुइं वासाइं सामण्णपरियागं पाउणंति, बहूईवासाइं सामण्णपरियागं
SR No.600363
Book TitleSuyagadang Suttam Part 02
Original Sutra AuthorN/A
Author
PublisherJinshasan Aradhana Trust
Publication Year2013
Total Pages480
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_sutrakritang
File Size26 MB
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