________________
॥ श्रीआचाराङ्ग प्रदीपिका ॥
OCOCOCE
(१) तत्थिमा पढमा भावणा - अणुवीयि मितोग्गहजाई से निग्गंथे, णो अणणुवीयि मितोग्गहजाई से णिग्गंथे । केवली बूया - अणुवीय मितोग्गहजाई से णिग्गंथे अदिण्णं गेण्हेज्जा । अणुवीयि मितोग्गहजाई से निग्गंथे, जो अणणुवीयि मितोग्गहजाइ त्ति पढमा भावणा ।
(२) अहावरा दोच्चा भावणा- अणुण्णविय पाण-भोयणभोई से णिग्गंथे, णो अणणुण्णविय पाण- भोयणभोई । केवल बूया - अणुणविय पाण-भोयणभोई से णिग्गंथे अदिण्णं भुंजेज्जा । तम्हा अणुण्णविय पाण- भोयणभाई से ग्गिंथे, णो अणगुणविय पाण-भोयणभोइ त्ति दोच्चा भावणा ।
(३) अहावरा तच्चा भावणा- णिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि एत्ताव ताव उग्गहणसीलए सिया । केवली बूयानिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि एत्ताव ताव अणोग्गहणसीलो अदिण्णं ओगिण्हेज्जा, निग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहियंसि एत्ताव ताव उग्गहसीलए सिय त्ति तच्चा भावणा ।
(४) अहावरा चउत्था भावणा-निग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहितंसि अभिक्खणं २ उग्गहणसीलए सिया केवली बूयाणिग्गंथे णं उग्गहंसि उग्गहितंसि अभिक्खणं २ अणोग्गहणसीले अदिण्णं ओगिण्हेज्जा, निग्गंथे उग्गहंसि उग्गहितंसि अभिक्ख २ उग्गहणसीलए सिय त्ति चउत्था भावणा ।
(५) अहावरा पंचमा भावणा-अणुवीयि मितोग्गहजाई से निग्गंथे साहम्मिएस, णो अणणुवीयि मितोग्गहजाई ।
॥२/३/१/॥
॥ २४३ ॥