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॥ श्री वीतरागाय नमः।
श्री पर्युषणाष्टाह्निका व्याख्यान (भाषांतर)
:भाषांतरकर्ता : श्री मन्मुक्तिविजयजी गणि (श्री मूलचंदजी महाराज) ना शिष्यवर्य श्रीमान् गुलाबविजयजी महाराजना शिष्य
मुनिराज श्री मणिविजयजी महाराज
छपावी प्रसिद्ध करनारशा. हीराचंद हरगोवन कापडीया, भावनगर.
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प्रति ५००]
[आवृत्ति त्रीजी