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जंबु
गुण
रन
माला
पृ.२३
निकस्यो । लग्या धनरे। दाह । प्र० ॥ १० ॥ एम से ची समरी योते । मंत्र श्री नवकार । माल जुत सब चोर हुवा रूप तिवार | प्र० १९ ॥ चोर पति कहे चलो भाई । निशावीती जाय । केम चाला चिप गयाए । धरण सुं हम पाय ॥ प्र० १२ ॥ यह आश्चर्य देख धूज्यो । पामियो अति त्रास उर्द्ध जोना महल दीठो । काम कांता पास । १३ नष्ट शक्ति थेई मेरी चल्यो नही मुझ जोर। पुण्य पुजए पुरुष विद्य । रहन अही जिहां मोर । प्र० । १४ ।। सोपान चढ सांगे तटतीहां जाय ऊभो बार हस्त जोडी बरी लटको । कहत एह विचार । प्र० ।। १५ ।। दोय वो एक देवो मंत्र मोटो एह । आजथी है करूं नाहीं तस्करी तुम गेह ॥ प्र० ॥ १६ ॥ अरे प्रभवा जादू टोणा । सर्व री दुख हेतु । विषय पडित हुवो आंधी । नाही तुझने चेत प्र० ॥ १७ ॥ मंत्र राज कोई न इण सम । परमेष्टी नवकार । हरे दलदर अनंत भवरा । अटल मुख दातार ।। प्र० १८ ॥ प्रात गुरु देव चरणरी शरण ग्रहस्यूं । थाय सुं अणगार ॥ प्र० १९ ॥ वा साहबी एह पर हरण की केम पूरव कह वाय ॥ प्र० ॥ २० ॥ प्रत्यसर्व सुख ही मिल्या पूरण फल्या पुन्य अंकूर ॥ प्र० २१ ॥ एह भुकां थोडो घणो समझी । कर कवूल घर रहण || प्र० २२ ।। कनें रह स्युं सेव कर स्युं । डरा जिन सो पुत्र । ढाल दशमी कही हिवड़ा कंबर देवे उन । प्र० ॥ २३ ॥
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एह ऋद्ध त्याग स्युं । छांड स्युं परवार क्य राह श्रवण मुरगकर घर मन भाय क्षरं भाखडी रमडी | लक्ष्मी भर पूर । प्रभुजी तुम मत तज़ो हम कहरण ।
ढाल
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