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________________ असुरा नांग सुवैन्ना, विनूं अग्गी य आहिया। दीवोदही दिसा वाया, थेणिया भवणवासिणो॥ संसारिजीवशापिसाय भूया जक्खा य, रक्खसा किन्नरा य किंपुरिसा।महोरगा य गंधवा, अट्टविहा वाणमंतरा॥ वक्तव्यता। चंदो सूरा य नक्खत्ता, गहा तारांगणा तहा। दिसाविचारिणो चेव, पंचहा जोइसालया ॥२०८॥ alवेमाणिया उजे देवा, दुविहा ते पकित्तिया । कप्पोवगा य बोद्धचा, कप्पाईया तहेव य ॥२०॥ कप्पोवगाय बारसहा, सोहम्मीसाणगा तहा । सणकुमाराहिंदा, बंभैलोगा य लंर्तगा ॥२१॥ महासुक्का सहस्सारा, आंणया पाणया तहा । औरणा अचुया चेव, इति कप्पोवगा सुरा ॥२१॥ कप्पातीता उजे देवा, दुविहा ते वियाहिया। गेविजाऽणुत्तरा चेव, गेवेजा नवहा तहिं ॥२१॥ हिद्विमा हिट्ठिमा चेव, हिटिमा मज्झिमा तहा। हिटिमा उवरिमा चेव, मज्झिमा हिडिमा तहा॥ मज्झिमा मज्झिमा चेव, मज्झिमा उवरिमा तहा। उवरिमा हिडिमांचेव, उवरिमा मज्झिमा तहा॥ उवरिमा उवरिमा चेव, इइ गेविजगा सुरा । विजया वेजयंता य, जयंता अपराजिया ॥२१॥ सव्वदृसिद्धगा चेव, पंचहाणुत्तरा सुरा । इइ वेमाणिया एए, णेगहा एवमायओ॥२१॥ लोगस्स एगदेसम्मि, ते सव्वे परिकित्तिया। इत्तो कालविभागं तु, तेसिं वोच्छं चउविहं ॥२१७॥ संतई पप्पऽणाईया, अपज्जवसिया वि य । ठिइं पडुच साईया, सपज्जवसिया वि य ॥२१८॥ साहियं सागरं इकं, उक्कोसेणं ठिई भवे । भोमिज्जाण जहन्नेणं, दसवाससहस्सिया ॥२१९॥ पलिओवमं तु एगं, उक्कोसेणं ठिई भवे । वंतराणं जहन्नेणं, दसवाससहस्सिया ॥२२०॥ पलिओवमं तु एगं, वासलक्खेण साहियं । पलिओवमट्ठभागो, जोइसेसु जहनिया ॥२२१॥ एगदेसम्मि, पचहाणूत्तरासुरा। विजय
SR No.600356
Book TitleUttaradhyayanani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichandracharya
PublisherPushpachandra Kshemchandra Balapurwala
Publication Year1937
Total Pages798
LanguagePrakrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size21 MB
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