SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 677
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ कर्मप्रकृतिः संक्रमकरणे प्रदेशसंक्रमः। ॥११॥ प्रदेशसंक्रमस्य साद्यादिभङ्गयन्त्रम् । प्रकृतीनाम् अजघन्यः जघन्यः अनुत्कृष्टः उत्कृष्टः सादिः | अधुवः अना० धुवः| सादिः | अधुवः| सादिः अध्रुवः अना० धुयः| सादिः । अधु० अनन्तरोक्त२१ उपशम भव्यानाम् साद्य-अभ-| क्षपणोद्य- सादि-| उप० श्रे० भव्या- साद्य- अभ-| क्षपणोद्य- सादित्वात् वर्ज१०५ धुव- श्रेणितः सा-व्या० तक्षपितक- त्वात् | तः पति नाम प्राप्ताः व्या- तगुणितक| सत्ताकानां पतितानां माशानाम् | तानाम् नाम् नाम् माशानाम् शाना०५-दर्श गुणितकर्मा- सादि गुणितक-अं०प-औ शमिथ्या- त्वात् माशमि" दा०७(२१) " " " दृशाम् थ्याशा धु०सत्ताकानां कादाचि कादाचिरकत्वात् कत्वात् शेषाणाम् (२८) अध्रुवस अधुव अधु० अधुवसअध्रु० अधुवस- अधुव० ताकत्वात् त्ताकत्वात् त्ताकरवात् मिथ्यात्वस्य पूतग्रहा पतग्र० - - पतद्ग्र० पतग्र० पतग्र० पतग्र० - - पतद्ग्र० पतद्ग्र० ध्रौव्यत्वात् दादEDOOD | GIRCre अधु० - सत्ता ॥१११॥ परा०। नाचः-सात- परावत्त असातानाम् मानत्वात्। परा० परा० परा० पराव० - - | परा० । परा०
SR No.600347
Book TitleKarm Prakruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Chirantanacharya, Malaygirisuri, Yashovijay Gani
PublisherJin Gun Aradhak Trust
Publication Year2016
Total Pages1490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size37 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy