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________________ गुण श्रेणीमो अनुक्रमे उत्तरोत्तर असंख्यगुण निर्जरावाली है. तेथी सम्यक्त्व पामेला करतां तो देशविरति असंख्यगुण निजेंरा करे छ II अने तेना करतां पण सर्वविरति साधु महाराज असंख्यगुण निर्जरा करे छे. श्री आचारांग आदि सूत्रोमां पण आ अर्थने मलती वात फरमावेली छे. जेओ साधु महात्मा करतां प्रथम समकित पामनारने असंख्यगुण निर्जरा वाळा जणावे छे तेओर्नु कहेवू सत्यथी वेगळु छे. र ODIOOK दीक्षानी जघन्य वय (३) श्री कर्मप्रकृति अने पञ्चसंग्रहमा संक्रमणाधिकार, उदयाधिकार, तथा क्षपणाधिकार आदि स्थले "भट्ठवासाए मासपुडुत्तभहिए"-भावार्थ-'गभना नव मास अधिक आठ वर्ष'-अक्षरोधी दीक्षानी जघन्यवय जन्मथी आठ वर्ष पुरा फरमावेली छे, ते साथे साथेज 'क्षपकश्रेणि मांडोने अंतर्मुहर्तमां केवलशान पामी आयुष्य प्रमाणे देशोनपूर्वकोटि विचरी शके छे, किंवा तुरत सिद्धिपद पामी शके छे' ते पण फरमावेलुं छे. श्री भगवतीजी आदि सूत्रोा पण दीक्षानी जघन्य वय आ ज प्रमाणे ग्रहण करवामां आवेली छे. श्रीनिशीथ शास्त्रमा दीक्षानी जघन्य वय मुख्यतया जन्मथी आठ वर्ष पुरा फरमावीने बीजा मते गर्भथी आठ वर्ष पुरा पण कथन | करेला छे. श्री जैन दर्शनमां दीक्षानी जघन्य वय माटे आ बेज मतो छ. श्री प्रवचनसारोद्धार आदि शास्त्रोप पण श्री निशीथनी पज आसानो अनुवाद करेलो छे. चाहे गर्भथी के जन्मथी पण आठथी नीचेनी वय चाळाने दीक्षा आपवानो श्री निशीथभाष्यकार महाराजे चोक्खो निषेध कर्यों छे. तथापि तेवाने दीक्षा आपवा माटे जो कोर साहसिक थाय तो आपनार पोते चारित्रथी भ्रष्ट थाय भामाटे श्री निशीथभाष्य अगीयारमा उद्देशानी गाथा २५४ तथा तेनी चूर्णि जेओए जोइ हशे तेओने कशी ज शंका रही शके तेवु नथी. RDCREDIODO
SR No.600347
Book TitleKarm Prakruti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShivsharmsuri, Chirantanacharya, Malaygirisuri, Yashovijay Gani
PublisherJin Gun Aradhak Trust
Publication Year2016
Total Pages1490
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size37 MB
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