SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 5
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ प्रस्तावना उत्तराध्ययनसूत्रे ॥३॥ seeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeeveey बहुत प्रबोधक हैं और उपदेश आत्मा को जाग्रत एवं झंकृत करने वाले हैं। ___उत्तराध्ययन सूत्र मुख्यतः प्राकृत-पद्यबद्ध है । केवल २६, २, १६ अध्ययन के प्रारम्भ का भाग और छठे अध्ययन की अंतिम थोड़ी पंक्तियां गद्य में हैं। पद्य कुल १६४३ हैं। इस सूत्र की भाषा के संबंध में डा० हार्मन याकोबी आदि पाश्चात्य भाषा शास्त्रियों का मत है कि "भाषा शास्त्र की दृष्टि से देखने पर उत्तराध्यन सूत्र की भाषा अति प्राचीन ढंग की है और जैनागमों में जिन सूत्रों में, सबसे प्राचीन भाषा सुरक्षित हैं उनमें से यह सूत्र भी एक है। उनके मतानुसार सबसे प्राचीन भाषा आचारांग की है, उसके बाद सूत्रकृतांग और तीसरा स्थान उत्तराध्ययन सूत्र का है । अतः भाषा की दृष्टि से भी इसकी प्राचीनता निर्विवाद है। इस सूत्र का महत्व तब और भी बढ़ जाता है जबकि इसकी कई गाथाएं बौद्ध ग्रंथ 'धम्मपद' में ज्यों की त्यों या सामान्य अंतर के साथ मिल जाती है । सूत्र निपात और अंगुतर निकाय से भी इसका कुछ भाषा और विषय साम्य है। इसी प्रकार सुप्रसिद्ध महाभारत में भी, इस ग्रंथ की कई गाथाओं का भाषा और विषय साम्य पाया जाना उल्लेखनीय है। यही नहीं इसमें आई हुई कुछ कथाएं भी बौद्ध जातकों और ब्राह्मण ग्रंथों में पाई जाती हैं। जैसे चित्तसम्भूत जातक में उत्तराध्ययन सूत्र के १३वें अध्ययन का विषय संग्रहीत हुआ है। नमि राजा का संवाद भी सूत्तनिपात की प्रत्येक बुद्ध कथा की याद दिलाता है। कपिल मुनि की कथा ब्राह्मण ग्रन्थों से भी कुछ मिलती हैं । इसी प्रकार १४वें और २२वें अध्ययन की कथाएं भी समझीए । १ देखें-स्थानकवासी आचार्य प्रात्मारामजी के उत्तराध्ययन सूत्र की प्रस्तावना २ देखें-उपेन्द्रराय मांडेसरा का "महाभारत और उत्तराध्ययन सूत्र" (एक तुलनात्मक अभ्यास-स्वाध्याय साथे) नामक ग्रन्थ । मानसशस
SR No.600344
Book TitleUttaradhyayanani Part 03 And 04
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBhavvijay Gani, Harshvijay
PublisherVinay Bhakti Sundar Charan Granthmala
Publication Year1959
Total Pages456
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size12 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy