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________________ कल्पसूत्र सुबोधि० ॥१७६॥ ESSENSERASTASUS पणानि, द्वे त्रिमासक्षपणे, द्वे सार्द्धद्विमासक्षपणे, षट् द्विमासक्षपणानि, द्वे सार्द्धकमासक्षपणे, बादश मासक्षपणानि, द्वासप्ततिः (७२) पक्षक्षपणानि, भद्रप्रतिमा दिनद्वय (२) माना, महाभद्रप्रतिमा दिनचतुष्क (४) माना, सर्वतोभद्रप्रतिमा दशदिनमाना, एकोनत्रिंशदधिकं शतद्वयं (२२९) षष्ठाः, द्वादश है कंताई तेरसमस संवच्छरस्स अंतरा वट्टमाणस्स जे से गिम्हाणं दुच्चे मासे, चउत्थे पक्खे, वइसाहसुद्धे तस्स णं वइसाहसुद्धस्स दसमीपक्खेणं, (१२) अष्टमाः,एकोनपंचाशदधिकं शतत्रयं(३४९)पारणाः, दीक्षादिन मेकं (१)॥सुखावबोधाय यंत्रकम् ॥ छ मासी डोट मासख पासख भद | महाभद्र| सर्वतोभद्र। छह | अहम पारणा | दीक्षा सर्वा वर्ष || सप" तप" मासी | मासी मासी मासी मासी मण मण प्रतिमा प्रतिमा | प्रतिमा | | दिन | दिन| २ मास | पंचदिन न्यून १ ।२२ २ १२२ दिन २ दिन ४ दिन १०२२१२३४१Tीदिन १५ ततश्चेदं जातम् । “बारस चेवर वासा, मासा छच्छेव अद्धमासं च । वीरवरस्स भगवओ, एसो SAMSUNGACASSESO सा। १७६॥
SR No.600342
Book TitleKalpsutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay Gani
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year1915
Total Pages622
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_kalpsutra
File Size39 MB
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