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________________ उत्तराध्ययन अनुक्रमणिका। 48 नो अपरिग्गहिआए .... ४५७-२-२४ पुढविदग अगणिमारुय ५४१-१-१| नोवेक्खा कुलजाई .... ९९-२-१२ पुषगहिएण छंदणत्ति .... ४८०-१-८ रसायणं निसेवंति .... १३८-२-१ रूसऊ वा परो मा वा २३७-१-६ पंचेव आणपषी .... ९१-२-१ बत्तीस किर कवला .... ३२२-२-१६ व. पच्छा गच्छमुवेई .... ५३९-१-८ बहुरय जमालिपभवा .... ११६-२-१० वइआसु जं अंतो .... ५२९-१-१० पडिवज्जइ एआओ .... ५३८-२-१५ वयछक्कमिंदिआणं च .... ५४३-१-११ पढमंमि अ संघयणे .... १६६-१-११ भिक्खायरिआए बावीसं २४-२-८ वरमग्गिमि पवेसो .... ३२-२-३ पणवीसं भावणाओ ... ५४२-२-२५ भूनयणवयणदसण .... ६१२-१-५ वसहिकहनिसिजिदिअ ५३७-२-१८ | परिअट्टिअलायण्णं .... २४४-१-५ वायाए कुक्कुइओ .... ६१२-१-७ पाओवगमणं दुविहं .... ५२९-१-९ महारंभयाए .... १८९-२-१२ वारी गयाण जालं .... १४१-२-१ पावयणी धम्म कही .... ५१२-१-९ मा मा दु विचिंतेजा .... १६७-१-७ वासाई दोण्णि तिण्णि व १३८-१-८ पिंडेसणसेजिरिआ .... ५४३-२-१६ मा वहउ कोवि गचं .... ८१-२-५ विणया नाणं नाणाओ ८-१-१ पुंडरीय किरिअठाणं .... ५४२-२-२० मासाई सत्तंता .... ५३८-१-१३ वितहकरणमारभडा .... ४८४-१-१ पुढविजलजलणवाया १८०-२-२ मोठे अकसायठिई .... ५७०-१-९ विहलं जो अवलंबइ .... ८६-१-४ UTR-1
SR No.600338
Book TitleUttaradhyayanam Sutram Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraguptasuri
PublisherAnekant Prakashan Jain Religious Trust
Publication Year2010
Total Pages444
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript & agam_uttaradhyayan
File Size33 MB
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