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________________ 卐 z < 卐 ) -) अवश्य न प्राप्त थात । गुजराती-इंग्लीश-संस्कृत-प्राकृत-मेथेमेटिक्स (गणित-बीजगणित-भूमिति ) इतिहास-भूगोळ विगेरे विषयोना अभ्ययन माटे स्थले स्थले विद्यमान स्कुलो हाईस्कुलो तेमज कालेजोमा मातपितानी प्रेरणापूर्वक किंवा प्रेरणाविना हजारोनी संख्यामां विद्यार्थिओ हसते चहेरे चाल्या जता प्रत्यक्ष जोइए छीए, ज्यारे आपणी आजनी धार्मिकपाठशालाओमां वे आंकडाथी वधीने त्रण आंकडानी संख्या भाग्येज होवा साथे संख्यानी अपेक्षाए ( पण ) हाजरीनुं अल्पप्रमाण, हाजरीना प्रमाणनी अपेक्षाए अभ्यासमां कीडीना वेगे वृद्धि (?) तेमज शिक्षकप्रमुखवडिलना विनयनो लगमग अभाव विगेरे बाबतोर्नु आन्तईष्टिथी अवलोकन करता कोइपण सुज्ञमानवने खेद थया सिवाय नहिं रहे। तेमां पण व्यावहारिकशिक्षणनी तेमज वयनी अमुक हद सुधीज धार्मिकअभ्यासनी परिपाटी चालु होवानुं अने ते व्यावहारिक शिक्षणनी तेमज वयनी मनःकल्पितमर्यादानुं उल्लंघन थतां 'अमे इंग्लीशमेन थया!' अमे 'मोटा थया!' 'आ अवस्थामा पाठशालामां जq ए अमने शोभे नहिं ' इत्यादि मनघडन्तकल्पनाओथी पोझीशनमा क्षति आववाना ओठा नीचे अथवा वर्तमानमा चालती धार्मिकशिक्षणप्रणालिकानी नीरसताने अङ्गे किंवा ए विषयमा विद्यार्थिओ साथे तेओना माबाप विगेरे ज्ञानसमृद्धिसम्बन्धी वडिलोनी निरपेक्षवृत्तिना निमिचे प्रथमावस्थामा चालु धार्मिकअभ्यासने अधवचीज प्रायः तिलांजलि आजना समाजनी आपवानुं अनुभवीओथी अनुभव बहार नथी । ' व्यावहारिकशिक्षणनी आवश्यकता नथी' एम परिस्थिति। कोइपण विचारशीलव्यक्ति कहेज नहिं, अने कोइ विचार कर्या सिवाय कहे तो ते योग्य पण गणाय नहि. परंतु व्या० शिक्षण उपर धर्मश्रद्धा तेमज धर्माचरणथी विमुख थवानो, वडिलोना विनयथी पराङ्मुख थवानो 卐卐६॥卐z40卐卐र -) -) ) >卐
SR No.600335
Book TitleNavtattva Prakaranam Sumangalatikaya Samalankrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year1934
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size34 MB
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