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श्रीनवतत्त्वसुमङ्गलाटीका.
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प्रकाशकनुं
प्रवर्तकश्रीनो उपकार मानवा साथे तेओश्रीना चरणारविन्दमा अनेकशः वन्दन करीए छीए ।
अन्तमां वाचकवृन्द आ टीका ग्रन्थ- साद्यन्त वाचन मनन अने निदिध्यासन करवा पूर्वक तत्वग्राहक बनवा साथे जैन जैनेतर जगत्मा तत्त्वज्ञाननो विशेष प्रचार करे एज अन्तिम अभिलाषा
निवेदन ।।
॥३॥
श्रीमन् मुक्तिकमलजैनमोहन मन्दिर रावपुरा महाजनगली वडोदरा । श्रीनेमिजन्म कल्याणक संवत्. १९९०॥
निवेदक, मोहनप्रतापीनन्दचरणोपासक
लालचन्द.
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