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________________ 5555-55-554 ! पूज्यप्रवर प्रत्यूषाभिस्मरणीय आचार्य महाराजश्री विजयमोहनसूरीश्वरजी महाराज आ ग्रंथमालाना प्रोत्साहक छे, एटलं ज नहिं परंतु ए माला प्रन्थपुष्पोना संयोगथी सुवासनो विस्तार केम विशेष फेलावे ! तेनी हंमेशां कालजी राखवा साथे नवीन नवीन जैन साहित्याना प्रकाशनमां अमने वारंवार प्रेरक थया छे. आज सुधी तेजश्रीनी सत्प्रेरणाथी ३२ पुष्पोनुं आ माळामां अनुसन्धान हथयुं छे; तेमां पण श्रीविपाक सूत्र सटीक [ छाया - सहित ] प्रतिमा शतक सटीक, उपदेशपद महाग्रन्थ सटीक १४५०० श्लोकप्रमाण, कर्मग्रन्थ १ थी ४ सटीक, अभिधान चिन्तामणि कोष रत्नप्रमाटीका समेत श्रीमहावीर चरित्र, पविंशिकाचतुष्क प्रकरण सविवरण, श्रीलघुक्षेत्र समास सचित्र - संयंत्र सविस्तरार्थ विगेरे अनेक सुविशाल सुगंधी मनमोहक ग्रन्थपुष्पोवडे मालाना सौरभमां खास वैशिष्ट्य थयुं छे अने तेथीज जनसमाजनुं आकर्षण पण माला तरफ विशेष थवा पाम्युं छे. पूज्य आचार्यश्री अहर्निश आवा सत्प्रकाशनमां अमने विशेष प्रेरणा करे अने जैन साहित्यनी विशालतामां बधारो करावे तेम इच्छीए छीए । A T A T अनुमोदन करीए छीए, अने समाजोपयोगी अन्यग्रन्थोनी रचना करी सुज्ञसमाजने समर्पण करवा पूर्वक तओ श्री जैन साहित्यना गौरवमां बधारो करे तेम इच्छीए छीए । V SUN<<< पूज्य आचार्यश्रीना उपदेशथी बाजुना पृष्ठमां जणाव्या प्रमाणे जे जे महाशयोए आ प्रन्थना प्रकाशनमां उदार आशयथी जे अमूल्य आर्थिक सहाय अर्पण करेल छे ते माटे अन्तःकरणथी ते ते महाशयोनो आभार मानीए छीए आ टीका ग्रन्थना मुद्रक महोदय प्रेसना अधिपति शाह गुलाबचन्द लल्लुभाइए निर्णयसागर प्रेस जेवी सुंदरकार्य पद्धतिथी अमने जे संतोष आप्यो छे ते पण प्रशं- L सनीय छे. आ मालाना उत्तेजक - ग्रन्थप्रकाशनना प्रेरक पूज्य आचार्यश्री, ग्रन्थसंशोधक पूज्य उपाध्यायजी महाराजश्री तेमज टीकाकार A A
SR No.600335
Book TitleNavtattva Prakaranam Sumangalatikaya Samalankrutam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDharmvijay
PublisherMuktikamal Jain Mohanmala
Publication Year1934
Total Pages376
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size34 MB
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