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छस्सया रिउमईणं, दससमणसया सिद्धा, वीसं अज्जियासया सिद्धा, अद्धटुमसया विउलमईणं, छस्सया वाईणं, बारससया अणुत्तरोववाइयाण ॥ १६६ ॥ व्याख्या-पास० अणुत्तरो० ॥ १६६ ॥ पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणीयस्स दुविहा अंतगडभूमी हुत्था, तं जहा-जुगंतकडभूमी य परियायंतकडभूमी य, जाव चउत्थाओ पुरिसजुगाओ जुगंतकडभूमी, तिवासपरियार अंतमकासी ॥ १६७॥ व्याख्या-पासस्स णं अरहओं परिसादाणीयस्स अंतमकासी ति पर्यन्तम्, तत्र युगान्तकरभूमिः श्रीपार्थनाथादारभ्य चतुर्थ पुरुषयुगं यावसिद्धिगमः प्रवृत्तः, पर्यायान्तकरभूमौ तु केवलोत्पादात्रिषु वर्षेषु सिद्धिगमारम्भः ॥१६७॥
तेणं कालेणं तेणं समएणं पासे अरहा पुरिसादाणीए तीसं वासाई अगारवासमझे वसित्ता, तेसीई राइंदियाई छउमत्थपरियायं पाउणित्ता, देसणाई सत्तरिवासाई केवलिपरियाय पाउ. णित्ता, पडिपुन्नाइं सत्तरिवासाइं सामनपरियायं पाउणिवा, एकं वाससयं सव्वाउयं पालइत्ता, खीणे वेयणिज्जाउयणामयुत्ते इमीसे ओसप्पिणीए दूसमसुसमाए समाए बहुविइकंताए
HALISISSA SISAK