SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 327
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ SOMVATIMADIRA PHP/INDOOR ame/esapanava/RDARMe/ONautential लगी तिणे प्रथम प्रतिमा सूत्र मारग दरी, दत्ती इके नातपाणी तणी कीधी गोचरी ॥५॥ चालती ॥ दत्तो वधतीरे श्क इक वृद्धियें मासनी, सात प्रतिमारे इणिपरे कोधि श्रासनी। सवि | मलीरे मास अट्ठावीस ए हुवा, श्ह आगारे रे प्रतिमा मारग जुजुवा ॥त्रुटक ॥ जुजू अठम नवम दसमी त्रिहुं दिन इकवास ए, नगर बाहिर जश्परीसह सहे बहु निसदीस ए। नीरवर्जित चउथ | | तप करी पम्मिए प्रारंनी ए, उत्तान अथवा सपन पासे चित्त एक पद थंनीये ॥५३॥ चालती॥ | श्म नवमी रे प्रतिमा वहतां.बेसीये, उकम आसन रे सयण लगम विमासीये । वच्चे उंचोरे नूमि || | लाग्यो बिडं दिसे, काठ वंकोरे करे शयन ते श्म निसे ॥७टक ॥ निसे ते दुश् लगमसाइ धरणी || | लग सिर पानही, अवर तनु राखंत उंचो नूमिका लागे नहीं । श्म दसमी प्रतिमा वहत रहेवो | वीरासणे गोदोहिया, बाजो बेग पाउं नीचा तेण विणु ए आहिया ॥५॥चालती॥ गाय उहतां रे || [] मुंथी उंची पानि कहीं, अंगुलियारे श्राधारे बेसे सही। जानु उपर रे दोवा नाजन मुकीये, विणु | दोहण रे एहथकी नहुं चुकीये ॥त्रुटक॥ चूकीये नहीं जिन मारग हुँती इणी परे ग्यारमी, डउ | N NIVEReutsASADAVANDA
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy