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________________ रास. ॥१३॥ vaaseeBasuBANSHASVitos/toaaivarusative/Pasan बढे अंगे इणिपरे नणीये, नावे तेह तणा गुण थुणिये, गणिय जनम प्रमाण ॥१॥ ढाल ॥ || |गस धन धन धारणी नाम ए माय, पुत्ररत्न जेणे उद्धयों ए ॥ अंधक वृष्णि धन यादवराय, जेहनो || है। तात तेजे नर्यो ए ॥ गौतम उत्तम पुरुष प्रधान, आठ रमणी तजी व्रत धर्यो ए॥ पामीय केवल || | झान निर्वाण, शेजेजे दरिसण साजयों ए ॥१२॥ नवय सहोदर तासु उदार, अथिर संसार है। मन संतरी ए, आदरे आदरी संयमन्नार, रिद्धि रमणी सर्व परिदरी ए॥ सम दम न धरे बालस || अंग, समुष प्रमुख आगम नर्या ए ॥ करीय संलेखण शत्रुजे श्रृंग, रंगे मुक्ति नारी वर्या ए ॥५३॥ सुलसा नंदन नाग आनंदन, कुमर अणियस जसनिलो ए ॥ दसणे शीतल नयण जेम || चंदन, दोष निकदन कुलतिलो ए॥ एक दिन परणीय नारी वत्रीस, कोमी वत्रीस सोवन मिल्यो ए। | इणिपरे पुरीय सज्जन जगीस, दीसे दोगुंडक सुरतिलो ए ॥ २४ ॥ मी गृहवास धरी धर्म || अन्यास. सास वेसास न आवीयो ए॥ततक्षण तोमीय मोह अढ पास, मास संलेखणानावीयो ॥१३॥ | ए॥ शिखर शेर्बुजतणो करीय निश्रेणि, सिद्ध निश्रेणि वेगे चड्यो ए ॥ गिरु गिरवर कारण p p/a /ARINDIA
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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