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________________ savanaseemaperraamw/maanavaneousamaya तेण, वीसरे ते किम चित्त अझयो ए ॥ २५॥ ढाल ॥ अजित सेनादिक जास जगीस, कोमी | रमणी बत्रीस बत्रीत ॥ सहोदर तासु पंचय व्रत धरी, शेजेजे चमी पहुंता शिवपुरी ॥२६॥ वसुदेव नंदन सारण कुवर, दारुक बीजो रूपे अमर ॥ कोमी पंचास रमणी पंचास, डंमी रिद्धि | | मंम्यो शिववास ॥ २७ ॥ उमुह सुमुह कुंमर कुमार, ए त्रणे बलदेव मलार ॥ सांजली धर्मकथा | प्रतिबुद्ध, विमलगिरि शिखरे थया सिद्ध ॥२०॥ सांब प्रद्युम्न ने जाली मयाली, प्रमुख कुंवर दसकुल उजाली ॥ एक एक धन कोमी पचास, जोगवी रमणी पचास विलास ॥२ए। ए बोध्या | ने अष्टम अंग, सयल संगी मी मन रंग ॥ शेजागिरी संथारो करी, सिद्धि पहुंता नव | सायर तरी ॥ ३० ॥ एणिपरे शेर्जेजे सिद्धा अनंत, तेह तणो कुण पामे अंत ॥ ज्ञानहीण हुं हुं || बद्मस्थ, पण जाणुंए मोटो तीर्थ ॥३१॥ इसिपरे शिखर समेतगिरिंद, ज्यां सिद्धाश्री वीस जिणंद ॥ अष्टापद गिरु गिरनार, गिरिवर विपुल अने वैनार ॥३२॥ जिनवर साधु मुक्तिनो गम, दी || निर्मल मन परणाम ॥ आणी हियमे तेहy नाम, त्रिकरण शुद्धे करुं प्रणाम ॥ ३३ ॥ उहा ॥ PADAANDAmaavanapaniopanpowanaBARDAanavara
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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