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________________ D/amtase/ANDVANDANDANDAMBASNDRANDIANEWSawa रंगके ॥ श्रुतनो ॥ २७ ॥ बीजे गमे मानीये, सघले धर्मारथ श्रारंनके ॥ एक प्रतिमा नहु मानीये, एह म करज्यो कूमो दनके ॥श्रुतनो॥२७॥ पर अवगुण लव म ग्रहो; परनिंदा म करो मन रीसके । पूर्व मांसन्नकण कह्यो, श्री श्रागम गिरुवे जगदीशके ॥ श्रुतनो० ॥ ॥ इह लोकिक पण इम कहे; मातंगीनो जोवो दृष्टांतके॥नूमि आनोखी चालती, निंदक रुलसीकाल अनंतके ॥ श्रुतनो० ॥ ३० ॥ एहज बागम वांचतां, रुसीया चोग साध अनंतके ॥ एह थाराधी उद्धर्या, पहोता सिद्धे साधु अनंतके ॥ श्रुतनो॥३१॥ एम जिनेसर नाखीयो, चोथे श्री समवाये अंगके ॥ जिन नाषित नहु अन्यथा, वानी ओलखज्यो मन रंगके ॥ श्रुतनो ॥३२॥ अणजाएयो असूएयो कहे; अणदीठो जे सन्ना मझारके ॥ पंचम अंगे प्रगट कह्यो, ते नर नमस्ये अनंत संसारके ॥ श्रुतनो० ॥३३॥ प्रतिमा वंदण आखमी, कही नथी जिनमारगमांहिके। साधु श्रावकने मारगे, म पमज्यो गामरीय प्रवाहके ॥ श्रुतनो०॥३४॥ सूत्र बता म उथपो, श्म करतां नाजे जिन आणके ॥ एह मूल समकित तणो, श्री जिनप्रतिमा करो प्रमाणके॥श्रुतनो० vasanapMDAADMAAVoteFATARVAtteARIVAR/
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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