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________________ ॥१२॥ BHAVITAMAVATIONautan BamDDDDDDDDARD/ocomopana || समयने, पहेले समय वखाणीए । तिहां एकसोएक, हवे डेहले समये । निता प्रचला नमाविए | ए । तेणे हेते पयमी नवाणु, दपकश्रेणी करीये, कोणमोहे सत्ता लहीए। अगियारमे गुणगणे, ते उपशम श्रेणी, तासु विविक्षा इहां नहींए ॥ ४ ॥ सयोगे पयमी पंच्यासी, सत्ताए हुवे । नवाणु | मांहे चौद नीसरेए । नाण सण यावरण, अंतराय चन पंच, पंच ए चनद समकाले हरे ए। | हवे अयोगी गुणगणे, बेल्खा समयथी। प्रथम समय बिहुत्तरि खपेए । डेढे समय तेर, प्रकृति ते | एटली, सत्ताए जिण लपेए ॥ ४ ॥ देवगति देवाणु पुत्री, सुन असुजागति । गंधदु फास अम| रसपणुं ए। पंच बंधन पंचवर्ण, पंच संघातन । संघयण बह पंचय तणुए । दुनग दुसर निर्माण, | असुन्न अनादेय । अयस अगुरुल बु सून थिए । उ संगण उपघात, नसास पराघात । पत्तेय अपज्जत्त सूसरुए ॥ ४५ ॥ त्रण उपांग नीयगोत्र । अथिर असाताए, अहवा सातावेदनीए ॥ बहुत्तरि खपावी एह, अथवा तिहत्तरी, मनुजानुपुब्बी सहितनीए। बहुत्तरि तो रहे तेर, तिदु त्तरितो बार । शेष रहे बेहले समयए । सत्ताए ते एह, नरगति आउघ । आणुपुत्री नरनी रमेए eatmentDAMAavetavaad ॥१२
SR No.600329
Book TitleSurdipikadi Prakaran Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPurvacharyadi, Mangaldas Lalubhai
PublisherMangaldas Lalubhai
Publication Year1913
Total Pages412
LanguageSanskrit
ClassificationManuscript
File Size29 MB
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